नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनातनी जारी है। इसके बीच चीन की बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन ने कहा है कि सीमा पर शांति बनाए रखना और भारत के साथ रणनीतिक विश्वास को गहरा करना उसकी प्राथमिकताओं में से एक है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के साथ विवादित सीमा के साथ शांति बनाए रखना और भारत के साथ रणनीतिक विश्वास को गहरा करना चीन की कूटनीतिक प्राथमिकताओं में से एक है। साथ ही यह भी कहा कि बीजिंग भविष्य में पड़ोसियों के साथ ‘साझा हितों’ का विस्तार करने की कोशिश करेगा।
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चीन की कूटनीतिक प्राथमिकताओं के बारे में एक प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग की योजनाओं को अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ, जापान और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आगे बढ़ने की संक्षिप्त रूपरेखा दी। झाओ ने कहा कि चीन-भारत संबंध के लिए दोनों पक्षों को सीमा क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा को संयुक्त रूप से सुरक्षित रखना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों का एक स्थिर और मजबूत विकास बनाए रखना चाहिए।
चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर सोमवार रात प्रकाशित एक बयान में उन्होंने कहा कि हम रणनीतिक आपसी विश्वास को और गहरा करना और अपने पड़ोसी और अन्य विकासशील देशों के साथ साझा हितों का विस्तार करना जारी रखेंगे।
हालांकि, चीनी अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव का कोई संदर्भ नहीं दिया। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव कम करने और डि-एस्कलेट करने के लिए दोनों देशों ने कई दौर की रणनीतिक और सैन्य वार्ता की है, मगर अब तक गतिरोध वाले इलाकों में शांति बहाल नहीं हो पाई है।
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चीनी विदेश मंत्रालय के एक नए बयान ने संकेत दिया कि सीमा पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। हालांकि, बयान में जमीन पर स्थिति का विवरण साझा नहीं किया गया। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन और भारत की सीमावर्ती सेना स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।’
वहीं, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत सहित भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को सांसदों की एक समिति को सूचित किया कि लद्दाख में डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया लंबी है, लेकिन भारतीय सशस्त्र बल इसके लिए तैयार हैं। कड़ाके की सर्दियों के लिए सेना की तैनाती के सभी इंतजाम किए गए हैं।