बीजिंग। दक्षिण चीन में घने जंगलों से घिरी घाटियों में खदानों की सुरंग है जिसमें चमगादड़ों का जमावड़ा होता था। अनुंसधान करने वाली टीम हाल में यहां पहुंची थी लेकिन उनके द्वारा एकत्र नमूनों को जब्त कर लिया गया। मीडिया की जांच चीनी और विदेशी वैज्ञानिकों व अधिकारियों के साक्षात्कार के अलावा, सार्वजनिक नोटिस, लीक हुए ई-मेल, चीन की राज्य परिषद और चीन के रोग नियंत्रण एवं उन्मूलन केंद्र (सीडीसी) के अप्रकाशित दस्तावेजों पर आधारित है।
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कोरोना वायरस से इंसानों के संक्रमित होने की पहली घटना के एक वर्ष पूरा होने को है, लेकिन विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा की गई जांच यह दिखाती है कि चीन की सरकार इस वायरस के स्रोत से जुड़े सभी शोध पर कड़ाई से नियंत्रण कर रही है और उन सिद्धांतों को बढ़ावा दे रही है, जिसमें वायरस की उत्पत्ति विदेश से होने की बात कही गई है। गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक सरकार वैज्ञानिकों के रिसर्च की निगरानी कर रही है और यह अनिवार्य कर रही है कि रिसर्च पेपरों को प्रकाशित करने से पहले राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अधीन कार्यरत कैबिनेट द्वारा प्रबंधित नए कार्यबल से पहले उन्हें अनुमोदित कराया जाए।
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सरकार के भीतर से दस्तावेजों के लीक होने की दुलर्भ घटना के तहत दर्जनों अप्रकाशित दस्तावेज सामने आए जो लंबे समय से जताई जा रहीं आशंकाओं की कथित तौर पर पुष्टि करते हैं कि यह कठोर नीति शीर्ष से लागू की जा रही है। इतना ही नहीं नवंबर के आखिरी में समाचार एजेंसी पत्रकारों को सादे कपड़ों में पुलिस ने पीछा किया और इलाके में जाने से रोक दिया।
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इन्हें अब तक कोरोना का सबसे करीबी स्रोत माना जाता है। इस इलाके को लेकर बहुत रुचि है क्योंकि यहां पर कोरोना वायरस के स्रोत के संकेत मिल सकते हैं। इस बीमारी ने दुनियाभर में 17 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है लेकिन यह राजनीतिक संवेदनशीलता की वजह से सूचना के लिहाज से ‘ब्लैक होल’ बन गया है।