बीजिंग| अप्रैल-जून की तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में 3.2 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। यह महामारी के प्रभाव के बाद विकास करने वाली पहली विश्व अर्थव्यवस्था है। पहली तिमाही में भारी गिरावट के बाद यह चीन के लिए अच्छे संकेत हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को दशकों बाद गिरावट का सामना करना पड़ा था। यह गिरावट कोरोना महामारी की वजह से आई थी।
जब पूरी दुनिया महामारी से जूझते हुए लॉकडाउन की ओर बढ़ रही थी तो चीनी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे फिर से खुल रही थी। एक ओर कोरोना पूरी दुनिया को चपेट में ले रहा था और चीन से निकले इस वायरस पर वो काबू पा रहा था। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक ने गुरुवार को आंकड़े जारी कर बताया कि चीन की जीडीपी में इस साल की दूसरी तिमाही में 3.2 फीसद की ग्रोथ है।
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अगर नए आंकड़ो की बात करें तो कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन उठाने के बाद अब तेजी से चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक कोरोना महामारी के बीच इस साल के पहले हॉफ में चीन की जीडीपी 45.66 ट्रिलियन युआन यानी करीब 6.53 अमेरिकी डॉलर, जो 1.6 फीसद गिर गई है। इस साल के पहले 3 महीने में चीन की अर्थव्यवस्था को 14 ट्रिलियन डॉलर की चोट पहुंची थी। इस दौरान जीडीपी में 6.8 फीसद की गिरावट हुई, जो 1992 के बाद सबसे बड़ी गिरावट थी। यह 1976 के बाद पहली बार चीन ने आर्थिक संकुचन की बात स्वीकारी।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राज्य के मीडिया में प्रकाशित एक पत्र में वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के हवाले से कहा, “चीन के दीर्घकालिक आर्थिक विकास के मूल सिद्धांतों में बदलाव नहीं हुआ है और न ही बदलेगा।” दूसरी तिमाही का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा, क्योंकि आपूर्ति पक्ष में उत्पादन बढ़ा और निवेश ने रफ्तार पकड़ी। बीजिंग इकोनॉमिक ऑपरेशन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तियान यून ने राज्य मीडिया को बताया कि दूसरी तिमाही के उत्तरार्ध में अर्थव्यवस्था पोस्ट-वायरस रिकवरी से एक निश्चित सीमा तक समय-समय पर चढ़ती रही।बता दें इससे पहले, IMF ने अनुमान लगाया था कि चीन सहित कुछ अर्थव्यवस्थाएं 2020 में 1 प्रतिशत बढ़ेंगी।
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आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक ताओ झांग, ने 10 जुलाई को कहा, “हम अनुमान लगा रहे हैं कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में केवल बहुत कम संख्या में अर्थव्यवस्थाएं वास्तव में इस वर्ष बढ़ेंगी, जिसमें चीन 1.0 प्रतिशत तक बढ़ेगा। कमोडिटिज, पर्यटन, और पर्यटन पर निर्भरता को देखते हुए कोरिया की अर्थव्यवस्था लगभग 2 प्रतिशत, भारत कर 4.5 प्रतिशत, जापान की 5.8 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है।”