नई दिल्ली। लद्दाख की गलवां घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए हिंसक झड़प को बीते दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन इस झड़प के बाद भारत और चीन के बीच बिगड़े रिश्ते अभी तक खुद के सामान्य होने का समय ढूंढ रहे हैं। वहीं, अब भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग ने गलवां घाटी की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
चीनी राजदूत ने कहा, गलवां घाटी में हिंसक झड़प की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। उन्होंने इस घटना को इतिहास के संदर्भ से संक्षिप्त लम्हा करार दिया है। वेदोंग ने कहा, दोनों ही देश बातचीत के जरिए तनाव की इस स्थिति को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
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वेदोंग ने कहा, चीन भारत को एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखता है ना ही वह इसे खतरे के रूप में देखता है। बीजिंग नई दिल्ली को एक अवसर के रूप में देखता है।
उन्होंने कहा, भारत और चीन को विवादों को किनारे कर शांतिपूर्वक रहना चाहिए। कोई भी देश दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग नहीं हो सकता है और न ही विकास कर सकता है। हमें न केवल आत्मनिर्भरता का पालन करना चाहिए, बल्कि वैश्वीकरण की प्रवृत्ति के अनुरूप बाहरी दुनिया के लिए भी खुलकर रहना चाहिए। केवल इस तरह से हम बेहतर विकास हासिल कर सकते हैं।
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चीनी राजदूत ने जोर देकर कहा कि चीन और भारत के बीच आर्थिक पूरकता बहुत मजबूत है। उन्होंने कहा, चीन लगातार कई वर्षों तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है, जबकि भारत दक्षिण एशिया में चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है। चीनी और भारतीय अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।