• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

कूड़े के पहाड़ों से शहरों को मिलेगा छुटकारा

Writer D by Writer D
13/09/2022
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, लखनऊ
0
Garbage

Garbage

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

आर.के. सिन्हा

आप जब राजधानी दिल्ली से गाजीपुर के रास्ते उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते हैं तब कचरे (Garbage) का काला स्याह डरावना पहाड़ दिखाई देता है। इसे जो शख्स पहली बार देखता है उसे तो यकीन ही नहीं होता कि दरअसल ये कचरे का पहाड़ है। आज के दिन आपको देश के प्रायः सभी शहरों में कचरे (Garbage) के ढेर दिखाई दे जाएंगे। ये उस भारत की कतई बेहतर तस्वीर पेश नहीं करते जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जिसके आईटी सेक्टर की ताकत का सारा संसार लोहा मान चुका है। उस भारत के शहरों में कूड़े के ढेर लगे हों, यह तो शर्म की बात कही जाएगी।

देखिए, छोटे-बड़े सभी शहरों और महानगरों को कचरे (Garbage) से मुक्ति तो दिलावानी ही होगी। कुछ साल पहले तक तो सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, सभी सार्वजनिक स्थलों पर कूड़े के अंबार लगे मिल जाते थे। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में काफी सकारात्मक बदलाव भी दिख रहा है। सरकार भी स्वच्छ भारत मिशन के तहत बड़े स्तर पर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है। कूड़े के ढेर समाप्त किये जा रहे हैं। साफ-सफाई को लेकर सरकार जागरूक है, वहीं ज्यादातर नागरिक भी अब यह समझने लगे हैं कि अपने शहरों को कूड़े से निजात दिलानी है। कूड़े को कूड़ेदान में डालने की प्रवृति अब आमजन में भी जाग उठी है।

शहरों को कूड़े (Garbage)के ढेर से मुक्ति दिलवाने में पहल केन्द्र में मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद ही शुरू हुई। हमें कचरे के री-साइक्लिंग पर खास फोकस देना होगा। इसी रास्ते से हम कूड़े को एक जगह जमा होने से रोक सकते हैं। इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यही कारण है कि बड़े स्तर पर री-साइक्लिंग का काम किया जा रहा है। उदाहरण रूप वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों और प्लेटफार्मों से निकलने वाले कूड़े और दूषित जल को रिसाइकल कर उपयोग में लाने की योजना जल्द ही मूर्त रूप लेने वाली है। गीले कूड़े से खाद और सूखे प्लास्टिक कूड़े से कुर्सी और टेबल बनाने की योजना है। जीरो वेस्ट प्रबंधन योजना के तहत स्टेशन प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। यहां तकनीक के तहत कूड़े को दो भागों में बांटा जाएगा। इसमें जर्मन तकनीक का सहयोग लिया जाएगा। कूड़ों (Garbage) का निस्तारण कर उसे दोबारा उपयोग में लाया जाएगा। जबकि दूषित जल के संचयन के बाद उसे रिसाइकल कर उपयोग में लाया जाएगा।

सिंगल यूज प्लास्टिक की इन चीजों पर लगा बैन, नियम तोड़ने पर होगी जेल

आज देश के कई राज्यों में स्टार्टअप कंपनियां कूड़े (Garbage) से सड़क बनाने का काम कर रही है। इसके अलावा, बिजली उत्पादन, ईंट और टाइल्स बनाने का काम, गिट्टी बनाने का काम आदि भी किए जा रहे हैं। कूड़े के रूप और उसकी री-साइक्लिंग के पूरे प्रोसेस के साथ उसके बेहतर इस्तेमाल की जानकारी आम नागरिकों तक पहुंचाने की जरूरत है। जिस दिन हम यह समझाने में सफल हो गए उसी दिन हम कूड़े के खिलाफ जंग को जीत लेंगे। कचरा निस्तारण के इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र सरकार ‘स्वच्छ अमृत महोत्सव’ प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक आयोजित कर रही है, जिसका उद्देश्य है कचरा मुक्त शहर। 17 सितंबर को युवाओं की रैलियों के साथ इसका शुभारंभ होगा। देश के विभिन्न शहरों में स्वच्छता को लेकर जन-जागरुकता और जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस महोत्सव के तहत अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को इस महोत्सव का समापन होगा। महोत्सव तो समाप्त होगा पर देश को कूड़े को जमा होने से रोकने का अभियान तो सतत जारी रखना ही होगा।

भारत से हर साल करीब 300 अरब किलोग्राम कचरा निकलता है। इसमें से 70-75 प्रतिशत ही इकट्ठा किया जाता है, बाकी जमीन पर और पानी में फैला रहता है। इकट्ठा किए गए कचरे में से भी आधा या तो खुले में फेंक दिया जाता है या जमीन में दबा दिया जाता है और कुल कचरे के सिर्फ पांचवें हिस्से की ही री-साइक्लिंग हो पाती है। वे शहर जिनमें कचरे को खुले में फेंका जा रहा है, उनमें भारत के दो सबसे बड़े महानगर दिल्ली और मुंबई भी शामिल हैं। दिल्ली का गाजीपुर तथा बुराड़ी और मुंबई का मुलुंड डंपिंग ग्राउंड ऐसे इलाके हैं, जहां ऊंचे-ऊंचे कचरे के पहाड़ बन चुके हैं और इनके आसपास भारी संख्या में लोग भी रहते हैं। जरा सोचिए कि इनके आसपास रहना कितना कठिन और अस्वास्थ्यकर होता होगा।

सिंगल यूज प्लास्टिक को हमें अपने जीवन से दूर करना होगा: एके शर्मा

भारत से निकलने वाला कचरा मुख्यत: दो तरह का है, इंडस्ट्रियल और म्युनिसिपल। इंडस्ट्रियल कचरे के निपटान की जिम्मेदारी जहां उद्योगों पर ही है, म्युनिसिपल कचरे की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों/ सरकारों की होती है। उन्हें शहरी इलाकों को साफ रखना होता है। हालांकि ज्यादातर निगम कचरे को इकट्ठा तो करते हैं, लेकिन फिर उसे आबादी के आसपास ही किसी डंपिंग ग्राउंड में फेंक देते हैं। यह कहना होगा कि हमारे शहरों के नगर निगमों ने कूड़े के निस्तारण और इसकी री-साइक्लिंग पर कोई बहुत ठोस कदम नहीं उठाए थे। सब राम भरोसे चल रहा था।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेस के एक अध्ययन के मुताबिक खुले में फेंके गए कचरे में भारी मात्रा में निकल, जिंक, आर्सेनिक, कांच, क्रोमियम और अन्य जहरीली धातुएं होती हैं, जो पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरों की वजह बनती हैं। भारत साल भर में जितनी जहरीली मीथेन का उत्सर्जन करता है, उसमें से 20 प्रतिशत सिर्फ इन कचरे के ढेरों से होता है। हमारे अपने देश में इंदौर ने बाकी शहरों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। इंदौर ने कूड़े के पहाड़ों से मुक्ति पा ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र नरेन्द्र मोदी ने भी एक बार कहा था कि शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त करने का इंदौर मॉडल अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा। इंदौर में कभी कूड़े के पहाड़ थे। अब वहां 100 एकड़ की डंप साइट ग्रीन जोन में परिवर्तित हो गई है। इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट बनने से वेस्ट-टू-वेल्थ तथा सर्कुलर इकोनामी की परिकल्पना साकार हुई है। इससे भारत के स्वच्छता अभियान को नई ताकत मिलेगी, जिसके अंतर्गत देश के सभी शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त कर ग्रीन जोन बना दिया जाएगा। तो क्या उम्मीद की जाए की जाए कि देश से कूड़े के पहाड़ों का अंत शीघ्र ही होगा।

Tags: garbageswachch bharat
Previous Post

सत्याग्रही सनातन धर्म की अटूट आस्था हैं प्रभु श्रीराम: सीएम योगी

Next Post

एके शर्मा ने बाराबंकी के 33/11 के0वी0 उपकेन्द्र बडेल व जेपी नगर का किया औचक निरीक्षण

Writer D

Writer D

Related Posts

White Hair
Main Slider

सफ़ेद बालों से छुटकारा पाने के लिए अपनी डाइट में शामिल करें ये चीजें

13/06/2025
makeup
Main Slider

थकान भरी आंखें बिगाड़ देती हैं मेकअप, तो अपनाएं ये टिप्स

13/06/2025
CM Vishnu Dev Sai
Main Slider

बच्चों के सर्वांगीण विकास का एक सशक्त माध्यम सिद्ध होगा केशव भवन: CM साय

12/06/2025
cm yogi
Main Slider

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना पर जताया दु:ख

12/06/2025
Viksit Krishi Sankalp Abhiyan
उत्तर प्रदेश

20.19 लाख से अधिक किसानों को दी गई खेती की नई तकनीक की जानकारी

12/06/2025
Next Post
AK Sharma

एके शर्मा ने बाराबंकी के 33/11 के0वी0 उपकेन्द्र बडेल व जेपी नगर का किया औचक निरीक्षण

यह भी पढ़ें

Earthquake

बंगाल-असम समेत कई राज्यों में भूकंप के झटके, जानमाल का नहीं हुआ नुकसान

05/04/2021
attacked with missiles

अस्पताल पर मिसाइलों से हमला, दो डॉक्टर सहित 18 की मौत

13/06/2021
Earthquake

6.1 तीव्रता के भूकंप से हाहाकार, मरने वालों की संख्या हुईं 1,000 के पार

22/06/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version