नई दिल्ली| दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सिविल सेवाओं में चयन की मनमानी प्रक्रिया नहीं हो सकती और इसके लिए चुनिंदा मानदंड़ों और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्धारित अनुशासन का अनुपालन नहीं करने से कुप्रबंधन उत्पन्न होगा और इसका स्वार्थी तत्व दुरुपयोग कर सकते हैं।
हाई कोर्ट के राजस्थान के उन 20 गैर-राज्य सिविल सेवा अधिकारियों की याचिका को ‘विचारणीय बताते हुए यह टिप्पणी की जो राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्ति पाना चाहते हैं। उन्होंने चयन समिति द्वारा साक्षात्कारों को रद्द करने को चुनौती दी है।
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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि साक्षात्कार रद्द किए जाने को वर्तमान मामले में एक घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और इसे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा कि ‘सिविल सेवाओं, विशेष रूप से आईएएस – एक प्रतिष्ठित सेवा, के लिए चयन की मनमानी प्रक्रिया नहीं हो सकती है। इसके लिए कुछ मानदंडों, प्रक्रियाओं और अनुशासन का पालन करना पड़ता है। निर्धारित अनुशासन का अनुपालन नहीं करने से कुप्रबंधन उत्पन्न होगा और इसका स्वार्थी तत्व दुरुपयोग कर सकते हैं। उसने कहा कि जब अदालत को पता चलता है कि चयन प्रक्रिया को अवरूद्ध किया जा रहा है तो वह आंख नहीं मूंद सकती।