महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh) न केवल एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का एक मॉडल भी है। चूंकि आस्था के इस उत्सव में लाखों भक्त शामिल हो रहे हैं, इसमें स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। लिहाज़ा यह आयोजन अपशिष्ट प्रबंधन, नदी संरक्षण और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को लेकर नए वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। राज्य सरकार ने “स्वच्छ महाकुंभ” (Swachh Maha Kumbh) सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक स्वच्छता योजना भी लागू की है। नवीन अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था, सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर सख्त नियमों और व्यापक जागरूकता अभियानों के साथ, कार्यक्रम का मकसद एक हरित और स्वच्छ तीर्थयात्रा प्रदान करना है। यह पहल इस भव्य आयोजन के दौरान आध्यात्मिकता और स्थिरता के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
गंगा की शुद्धता और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र
महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh) का एक प्रमुख उद्देश्य गंगा की पवित्रता को बनाए रखना है। इसे हासिल प्राप्त रने के लिए, प्रदूषण को रोकने हेतु सख्त नियम लागू किए गए हैं और नदी की निरंतर निगरानी की जा रही है। मेले के मैदानों को प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है, जिसमें एकल-उपयोग प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध है। इस पहल को जागरूकता अभियानों के ज़रिए भी और मज़बूत किया जा रहा है, जिसमें तीर्थयात्रियों से प्लास्टिक कचरे से बचने और अपने कचरे को निर्दिष्ट डिब्बे में डालने का आग्रह किया गया है।
बड़े पैमाने पर स्वच्छता से जुड़ा बुनियादी ढ़ांचा
भक्तों की विशाल आमद के सही प्रबंधन के लिए, एक मजबूत स्वच्छता बुनियादी ढांचा स्थापित किया गया है। इसमें निम्नलिखित शामिल है:
सेप्टिक टैंक के साथ 12,000 फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी) शौचालय।
सोख्ता गड्ढों के साथ 16,100 पूर्वनिर्मित स्टील शौचालय।
20,000 सामुदायिक मूत्रालय, जो रणनीतिक रूप से पूरे मेले के मैदान में बनाए गए हैं।
ये सुविधाएं सुनिश्चित करती हैं कि तीर्थयात्रियों को साफ और स्वच्छ शौचालयों तक पहुंच मिले, जिससे खुले में शौच और संबंधित स्वास्थ्य खतरों का खतरा कम हो।
कुशल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली
आयोजन क्षेत्र को स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल रखने के लिए एक सुव्यवस्थित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली रखी गई है। इन उपायों में शामिल हैं:
स्रोत पर कचरा पृथक्करण की सुविधा के लिए 20,000 कचरा डिब्बे।
व्यवस्थित अपशिष्ट संग्रहण और निपटान के लिए 37.75 लाख लाइनर बैग।
तेजी से अपशिष्ट निपटान के लिए विशेष स्वच्छता दल, विशेष रूप से प्रमुख स्नान अनुष्ठानों के बाद।
ये प्रयास पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए पुनर्चक्रण और पुर्नपुयोग को बढ़ावा देते हैं।
मियावाकी वन: एक हरित पहल
स्वच्छता उपायों के अलावा, सरकार ने वायु गुणवत्ता में सुधार और प्रयागराज में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए मियावाकी वनीकरण तकनीक लागू की है। 1970 के दशक में प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित मियावाकी तकनीक सीमित स्थानों में घने जंगल बनाने की एक क्रांतिकारी विधि है। इसे अक्सर “पॉट प्लांटेशन विधि” के रूप में जाना जाता है, जिसमें पेड़ों और झाड़ियों को तेजी से विकास के लिए एक-दूसरे के करीब लगाया जाता है। इस तकनीक से पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं, जिससे यह शहरी क्षेत्रों के लिए एक व्यावहारिक समाधान बन जाता है। मियावाकी तकनीक का उपयोग करके लगाए गए पेड़, पारंपरिक जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं, तेजी से बढ़ते हैं और समृद्ध जैव विविधता का समर्थन करते हैं।
करीब चार साल पहले, 2020-21 में, प्रयागराज में मियावाकी परियोजना छोटे पैमाने पर शुरू की गई थी। इस परियोजना का 2023-24 में काफी विस्तार हुआ, जब नैनी औद्योगिक क्षेत्र के नेवादा समोगर में 34,200 वर्ग मीटर क्षेत्र में 63 विभिन्न प्रजातियों के 119,700 पौधे लगाए गए। पहले, यह क्षेत्र औद्योगिक कचरे से अत्यधिक प्रदूषित था, क्योंकि स्थानीय कारखाने नियमित रूप से अपना कचरा वहाँ फेंक देते थे।
शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड, बसवार में भी मियावाकी परियोजना के तहत एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया गया है। यह स्थल, जो कभी कचरे से भरा हुआ था, उसे साफ किया गया और 9,000 वर्ग मीटर से अधिक जगह का उपयोग, 27 विभिन्न प्रजातियों के 27,000 पौधे लगाने के लिए किया गया। आज, ये पौधे घने जंगल में विकसित हो गए हैं, जिससे पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है। मियावाकी तकनीक का उपयोग प्रयागराज शहर में 13 अन्य स्थानों पर जंगल बनाने के लिए किया गया है।
परियोजना के तहत लगाई गई प्रमुख प्रजातियों में आम, महुआ, नीम, पीपल, इमली, अर्जुन, सागौन, तुलसी, आंवला और बेर शामिल हैं। इसके अलावा, गुड़हल, कदंब, गुलमोहर, जंगली जलेबी, बोगनविलिया और ब्राह्मी जैसे सजावटी और औषधीय पौधों को भी इसमें शामिल किया गया है। ये हरित स्थल, तापमान को नियंत्रित करने (4 से 7 डिग्री सेल्सियस तक), जैव विविधता को बढ़ाने, वायु और जल प्रदूषण को कम करने, मिट्टी के कटाव को रोकने और महाकुंभ के दौरान समग्र पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में योगदान दे रहे हैं।
सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता अभियान
महाकुंभ (Maha Kumbh) में स्वच्छता बनाए रखने के लिए जनभागीदारी एक अहम पहलू है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से मेला मैदान में गंदगी न फैलाने और स्वच्छता बनाए रखने में मदद के लिए निर्दिष्ट स्थानों पर कचरा फेंकने का आग्रह किया है। नागरिकों को शामिल करने और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की शुरूआत की गई हैं:
स्वच्छता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयागराज नगर निगम द्वारा आयोजित स्वच्छता रथ यात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरी है।
नुक्कड़ नाटक और संगीतमय प्रस्तुति के ज़रिए तीर्थयात्रियों को उचित अपशिष्ट पृथक्करण और निपटान के बारे में शिक्षित किया गया है। घाटों पर सार्वजनिक संबोधन प्रणालियाँ लगातार संदेश प्रसारित करती हैं और श्रद्धालुओं से स्वच्छता बनाए रखने का आग्रह करती हैं।
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प्रमुख स्नान तिथियों के बाद, पूरे मेले के मैदान में स्वच्छता बहाल करने के लिए बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। विशेष स्वच्छता टीमें तैनात की गई हैं:
सार्वजनिक शौचालयों को नियमित रूप से साफ करें। मेले के दौरान इस्तेमाल होने वाले सार्वजनिक शौचालयों के लिए बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए स्वच्छता कार्यकर्ताओं की अतिरिक्त टीमें भी तैनात की गई हैं। पार्किंग एरिया से लेकर घाटों तक स्थापित शौचालयों की साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
तीर्थयात्रियों द्वारा छोड़ा गया कचरा हटाएँ। कचरे को एकत्र कर निर्धारित स्थानों पर निस्तारित किया जा रहा है। इस एकत्रित कचरे को निपटान के लिए व्यवस्थित रूप से ब्लैक लाइनर बैग में इकट्ठा किया जा रहा है, इस योजना को क्रियान्वित करने में तेजी से प्रगति हो रही है।
काले लाइनर बैग का उपयोग करके कचरे का व्यवस्थित निपटान सुनिश्चित करें।
कीटाणुनाशकों का नियमित छिड़काव और फॉगिंग।
तीर्थयात्रा के मार्गों से मलबा, पत्थर, ईंटें एवं मलबा सहित सभी निर्माण सामग्री हटाने के नियमित प्रयास।
ये त्वरित प्रतिक्रियाएं पूरे आयोजन के दौरान स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करती हैं।
स्वच्छता कर्मियों का कल्याण
राज्य सरकार ने महाकुंभ में स्वच्छता बनाए रखने और स्वच्छ महाकुंभ अभियान को बड़ी सफलता बनाने में स्वच्छता कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, सफाई मित्र नामक सफाई कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता दी है। इस बावत किए गए उपायों में शामिल हैं:
उचित आवास और सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वच्छता कॉलोनियां।
उनके बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय, ताकि विद्या कुंभ पहल के ज़रिए उन बच्चों के लिए शिक्षा, यूनिफार्म और मध्याह्न भोजन तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
सभी सफाई कर्मचारियों के लिए पर्याप्त भोजन, आवास और समय पर वेतन भुगतान।
ये प्रयास न केवल स्वच्छता बनाए रखने, बल्कि इसके लिए जिम्मेदार श्रमिकों का समर्थन करने के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
हरित महाकुंभ: एक राष्ट्रीय स्तर की पर्यावरण चर्चा
पर्यावरण जागरूकता को और बढ़ावा देने के लिए, हरित महाकुंभ 31 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा, जिसमें 1,000 से अधिक पर्यावरण और जल संरक्षण विशेषज्ञ एक साथ आएंगे। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित ज्ञान महाकुंभ – 2081 श्रृंखला के हिस्से के रूप में आयोजित यह कार्यक्रम निम्नलिखित पर केंद्रित होगा:
प्रकृति, पर्यावरण, जल और स्वच्छता से संबंधित मुद्दे।
प्रकृति के पांच तत्वों को संतुलित करना।
पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता में सर्वोत्तम अभ्यास।
भक्तगणों को सतत् प्रयासों में शामिल करने की रणनीतियाँ।
यह आयोजन ज्ञान साझा करने और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार महाकुंभ के दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।
महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh) स्वच्छता, स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। अपशिष्ट प्रबंधन और प्लास्टिक-मुक्त पहल से लेकर मियावाकी जंगलों के विकास और स्वच्छता कार्यकर्ता कल्याण कार्यक्रमों तक, मेले के हर पहलू को लेकर स्वच्छता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक योजनाएं बनाई गई हैं। इस कार्यक्रम के दौरान शुरू की गई पहल न केवल स्वच्छ महाकुंभ सुनिश्चित करती हैं, बल्कि भविष्य में दुनिया भर में बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजनों के लिए एक उदाहरण भी स्थापित करती है। सामुदायिक भागीदारी, तकनीकी प्रगति और नीति-संचालित उपायों के ज़रिए, महाकुंभ 2025 पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और सार्वजनिक स्वच्छता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।