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आपदा की इस घड़ी में कोई भी खुद को अकेला न समझे…, धामी ने लोगों को बंधाया ढांढस

CM Dhami reached Sainji

CM Dhami reached Sainji

पौड़ी गढ़वाल/देहरादून: उत्तराखंड में उत्तरकाशी के धराली में अतिवृष्टि से हुए व्यापक नुकसान के साथ ही, पौड़ी गढ़वाल का सैंजी गांव भी आपदा का भेंट चढ़ गया जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने आपदा बचाव कार्यों की समीक्षा की और बाद में सैंजी गांव पहुंचे तथा पीड़ित परिवारों को ढांढस बधाया।

पौड़ी गढवाल के सैंजी में भवन की दीवार और छत ढहने से आशा देवी (55) और विमला देवी (58) की मौत हो गयी थी और जबकि कई मवेशी भी दब गए। इसके अलावा, जनपद के ही थलीसैंण ब्लॉक के बाकुड़ा गांव में गदेरे का जलस्तर बढ़ने से पांच नेपाली मजदूर तेज बहाव में बह गए।

मुख्यमंत्री धामी (CM Dhami) ने धराली में दो दिन बचाव कार्यों की समीक्षा करने के बाद, सीधे आपदाग्रस्त क्षेत्र सैंजी पहुंचे। उन्होंने आपदा प्रभावित ग्रामीणों से उनका हालचाल जाना एवं आपदा से हुए नुकसान के बारे में जानकारी ली। उन्होंने प्रभावितों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हर परिस्थिति में प्रभावितों के साथ खड़ी हैं। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने में किसी प्रकार की कमी न हो। इससे पूर्व उन्होंने हेलीकाप्टर से थलीसैंण तहसील के बांकुड़ा सहित अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे भी किया।

मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने नौठा में बुराँसी के आपदा प्रभावित और अन्य ग्रामीणों से मुलाक़ात की। इस दौरान उन्होंने बुराँसी के पांच आपदा प्रभावितों को राहत राशि के चेक भी दिये। उन्होंने सैंजी गांव में क्षतिग्रस्त रास्ते से गुजरते हुए आपदा प्रभावित परिवारों के घर जाकर उनसे मुलाकात की तथा आपदा से हुई क्षति का जायजा लिया। इस दौरान प्रभावित परिवारों ने उन्हें अपनी समस्यायें बतायीं और त्वरित गति से राहत कार्य के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

श्री धामी (CM Dhami) ने प्रभावितों के ढाँढस बंधाया और कहा कि आपदा की इस घड़ी में कोई भी खुद को अकेला न समझे। उन्होंने कहा कि पूरा राज्य पीड़ितों के साथ खड़ा है। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि प्रभावितों के पुनर्वास एवं विस्थापन की कार्यवाही त्वरित गति से की जाय। उन्होंने निर्देश दिए कि अतिवृष्टि से हुई क्षति का आकलन करवाए जाने के साथ सर्वप्रथम ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाय। उन्होंने कहा कि राहत केंद्रों में बिजली, पानी, शौचालय, दवाई, राशन की पर्याप्त व्यवस्था की जाय। साथ ही उन्होंने वाडिया इंस्टीट्यूट के माध्यम से सर्वे करने के भी निर्देश दिए।

उल्लेखनीय है कि लगातार हो रही बारिश से बीते मंगलवार को पौड़ी, पाबौ और थलीसैंण में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारी बारिश के कारण पाबौ में हुए भू-धसाव से एक आवासीय भवन धराशाई हुआ। जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गई। जबकि थलीसैंण ब्लॉक में गदेरा उफान पर आने से पांच नेपाली मजदूर लापता हैं। बैंज्वाड़ी गांव में भी एक आवासीय भवन भूस्खलन की चपेट में आ गया, जिसके बाद वहां के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा, पश्चिमी नयार नदी के उफान पर आने से बुआखाल-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 121 पर स्थित कलगड़ी का पुल ढह गया है।

क्षेत्रवासियों के अनुसार, यह पुल थलीसैंण और पाबौ विकासखंडों को मुख्यालय पौड़ी से जोड़ता था, जिसके ढह जाने से इन क्षेत्रों के कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है।

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