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जीएसडीपी में वृद्धि के आधार बने पशुपालन व डेरी विकास की योजनाएं: धामी

CM Dhami

CM Dhami

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने अधिकारियों को पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में आगामी 03 वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में योगदान 03 प्रतिशत से बढ़ाकर 05 प्रतिशत करने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने स्थानीय उत्पादों को तेजी से बढ़ावा देने पर भी बल दिया।

बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने पशुपालन, डेरी विकास, मत्स्य पालन और गन्ना विकास विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में जीएसडीपी में वृद्धि के लिए आवश्यक संसाधनों का पूरा एक्शन प्लान तैयार कर प्रस्तुत करने के साथ प्रत्येक जनपद में एक-एक मॉडल पशु चिकित्सालय बनाए जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ नवाचार की दिशा में विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य किया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका में वृद्धि हो और पलायन भी रूके। डेरी विकास और पशुपालन के क्षेत्र में राज्य की आर्थिकी में सुधार के लिये अन्य प्रदेशों से आयातित दूध व दुग्ध उत्पादों, पोलट्री उत्पादों की निर्भरता को कम किया जाए। गोट वैली,कुक्कुट वैली और ब्रायलर फार्म की स्थापना राज्य में पशुपालकों की आय को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई है। इस योजनाओं को और तेजी से बढ़ावा दिया जाए।

मुख्यमंत्री (CM Dhami)  ने राज्य में डेरी विकास के लिए दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ ही विभिन्न दुग्ध उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से कार्य करने को कहा। दुग्ध उत्पादन से लाभकारी आय के लिए इनपुट प्रोडक्सन एवं डिलीवरी सिस्टम को सुदृढ़ बनाया जाए। एफ.पी.ओ के माध्यम से किसानों को उन्नत किस्म के चारा बीज उपलब्ध कराने और हरा और सूखा चारा उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही राज्य में अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री (CM Dhami)  ने मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्रों में ट्राउट फिश के उत्पादन को तेजी से बढ़ावा दिया जाए। इनकी बिक्री के लिए भी उचित प्रबंध किये जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मत्स्य पालकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। राज्य में मत्स्य पालन को और तेजी से बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से लक्ष्य तय किये जाएं, लक्ष्यों को फोकस करते हुए समयबद्धता के साथ आगे कार्य किये जाएं। राज्य में मछली की खपत के अनुरूप उत्पादन हो इस दिशा में भी तेजी से प्रयास किये जाएं।

मुख्यमंत्री (CM Dhami)  मत्स्य संपदा योजना से भी अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि तालाबों के निर्माण से उनमें मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है,वहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यह सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि कलस्टर बनाकर तालाबों का निर्माण किया जाए और उनके माध्यम से मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए।

गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण की दिशा में कार्य किया जाए

गन्ना विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि गन्ना मिलों को घाटे से उबारा जाए। गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिशा में कार्य किये जाएं। राज्य में गन्ना बीज बदलाव, जीपीएस के माध्यम से गन्ना सर्वेक्षण का कार्य तथा प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर हो।

611 परिवारों को दुग्ध और 4943 पशुपालकों को बकरी पालन से जोड़ने का लक्ष्य

कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पशु स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के लिए वृहद् स्तर पर पशुओं का टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइल वैटिनरी यूनिट के माध्यम से पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन के तहत इस वर्ष डेरी विकास के अन्तर्गत 3385 दुधारू पशुओं के क्रय के लिए 611 परिवारों को दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने और 4943 पशुपालकों को बकरी व कुक्कुट पालन का लक्ष्य रखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में साइलेज,चारा फीड ब्लाक की सुगमता से उपलब्ध होने के कारण महिलाओं के बोझ को कम किया गया है।

महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य

मंत्री ने बताया कि पशुपालन से संबधित कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले 03 वर्षों में दुग्ध उपार्जन,संतुलित पशु आहार एवं साईलेज विक्रय में वृद्धि हुई है। गोट वैली से राज्य में डेढ़ साल में 3027 पशुपालकों को लाभ मिला है,जिसमें 37 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। राज्य में कुक्कुट की 2622 ईकाई स्थापित हैं, इस वर्ष 01 हजार और ईकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

बैठक में मुख्य सचिवराधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव डॉ.बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव विजय जोगदंडे, नियोजन विभाग से मनोज पंत और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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