जयपुर। 11 अगस्त को हाई कोर्ट और 14 अगस्त को विधानसभा में होने वाली अग्निपरीक्षा से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के नाम एक पत्र लिखा है। गहलोत ने पत्र में लिखा है कि विधायको को सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए। उनकी सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने पत्र में कहा है कि राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त की परंपरा अच्छी नहीं है। वह अपने पत्र के माध्यम से विधायकों के यह बता रहे हैं कि उनकी सरकार ने राज्य में कितने अच्छे काम किए हैं, राज्य में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने विधायकों के नाम लिखे पत्र में सबसे पहले सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए मौजूदा परिस्तिथि की बात कही है।
उन्होंने विधायकों से अपील की है कि राज्य को खरीद-फऱोख्त की राजनीति से बचाएं। इससे राज्य में गलत परंपरा शुरू हो जाएगी।
इसके लिए उन्होंने पत्र में 1993-96 के दौरान भैरों सिंह शेखावत की सरकार गिराने के प्रयासों पर का भी जिक्र किया। गहलोत ने बताया कि मैंने उस वक्त पीएम और राज्यपाल से मिलकर इस तरह की कार्रवाई का विरोध किया था।
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साथ ही उन्होंने कहा है कि यहां के प्रदेशवासी कभी नहीं चाहेंगे कि राजस्थान में ऐसी परंपरा स्थापित हो। वर्तमान में पूरे प्रदेशवासियों में इस घटनाक्रम को लेकर इस षड़यंत्र में शामिल जनप्रतिनिधियों के प्रति भयंकर आक्रोश है। पत्र में सीएम गहलोत ने लिखा है कि जीव गांधी के समय 1984 में दल-बदल कानून लाया गया। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के समय यह प्रावधान किया गया कि किसी भी राजनीतिक दल के कम से कम दो तिहाई चुने हुए सदस्यों द्वारा नया दल बनाया जा सकता है अथवा दूसरे दल में विलय हो सकता है।
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राजस्थान के 6 बसपा विधायकों ने इस कानून के दायरे में रहकर राज्य में स्थिर सरकार और अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्यों में सुविधा के लिए कांग्रेस विधायक दल में विलय का निर्णय लिया।