अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Mandir) में गर्भगृह की पहली शिला आगामी एक जून को रखेंगे। इसके साथ ही रामलला के गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा।
विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बुधवार को यहां विहिप मुख्यालय ‘कारसेवकपुरम’ में यह जानकारी देते हुए बताया कि पांच सौ सदी के बाद आ रही इस ऐतिहासिक तिथि को लेकर रामभक्तों में खासा उत्साह है। उन्होंने बताया कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं।
शर्मा ने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर (Ram Mandir) निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र एवं महामंत्री चम्पत राय की देख-रेख में रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है। जिसको देखने के लिए दूरदराज से लोग यहां आयेंगे। उन्होंने अब तक के निर्माणकार्य की प्रगति के बारे में बताया कि देश की अग्रणी भवन निर्माण संस्थाओं के जाने-माने इंजीनियरों के द्वारा राम मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। इनमें मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण कर रही है। टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त है। इसके अलावा चार शीर्ष इंजीनियर, आईआईटी-मुंबई के जगदीश आफले और गिरीश सहस्त्रभुजनी के अलावा औरंगाबाद के इंजीनियर जगन्नाथजी तथा नागपुर के अविनाश संगमनेरकर स्वैच्छिक सेवायें दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 05 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के गर्भगृह स्थल पर पूजा करके निर्माण कार्य को गति प्रदान की थी। शर्मा ने बताया कि नवंबर-दिसंबर 2020 में निर्माणस्थल का जीपीआर सर्वेक्षण किये जाने के बाद उत्खनन कर मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबा और पुरानी मिट्टी को हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने लगे। यह स्थल एक विशाल खुली खदान की तरह दिखता था। इसके गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा व बालू हटाई गई। बैक-फिलिंग तकनीकी से इस गड्ढे को क्रक्रीक की कई परतों से भरा गया। गर्भगृह में कंक्रीट की 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 परतों को डाला गया। इसे पूरा होने में अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक लगभग 6 महीने लगे। उक्त फिलिंग को मिट्टी सुदृढ़ीकरण द्वारा भूमि सुधार नाम दिया गया। इसे जमीन के भीतर एक विशाल मानव निर्मित चट्टान कहा जा सकता है, जिसे कम से कम 1,000 वर्षों के लिए दीर्घायु और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
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शर्मा ने बताया कि मंदिर के फर्श और कुर्सी (प्लिंथ) को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी 22, को शुरू हुआ। यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सितंबर, 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होने की अपेक्षा है।
उन्होंने बताया कि बहुत शीघ्र गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारम्भ होगा। प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी। राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में नक्काशी स्थल से नक्काशीदार पत्थर अयोध्या पहुंचने लगे हैं। मंदिर के गर्भगृह क्षेत्र के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा। मकराना संगमरमर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं।
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ट्रस्ट के मुताबिक प्रथम चरण में बन रहा तीर्थयात्री सुविधा केंद्र लगभग 25,000 तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा। भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी योजना में हैं और इन्हें कुल 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर परन्तु परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में बनाया जायेगा।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर के आयाम-भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई 380 फीट है। भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई 250 फीट है। गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई 161 फीट है। उन्होंने बताया आम तौर पर हर महीने निर्माण समिति सभी इंजीनियरों और वास्तुकारों के साथ नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में 2 से 3 दिनों तक बैठती है और प्रत्येक विवरण पर बहुत बारीकी से चर्चा करती है।