लखनऊ। यूपी में बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार जारी है। इससे पूरे प्रदेश में बिजली संकट खड़ा हो गया है। स्थिति यह है कि लखनऊ में सीएम से लेकर डिप्टी सीएम और तमाम मंत्रियों के आवास पर बिजली व्यवस्था चरमराती दिख रही है। कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई। वहीं, मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार को देखते हुए ऊर्जा विभाग की बड़ी बैठक तलब कर ली है।
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ऊर्जा विभाग की बड़ी बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया गया है।
वीवीआईपी इलाकों पर संकट
स्थिति यह है कि निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मी ब्रेकडाउन की शिकायतें नहीं ले रहे हैं। लखनऊ के पॉश इलाके में सोमवार से हुए ब्रेकडाउन को भी अटेंड नहीं किया गया है। 33 केवी की लाइन में खराबी के चलते सोमवार को 11.30 से ब्रेकडाउन हुआ है। फिलहाल मार्टिनपुरवा से वीवीआईपी क्षेत्र में बिजली सप्लाई हो रही है। वीवीआईपी उपकेंद्र कूपर रोड 22 घंटे से मार्टिनपुरवा से संचालित है। मार्टिनपुरवा सोर्स में व्यवधान आने पर पूरे इलाके में बिजली गुल होने का संकट खड़ा हो सकता है। मार्टिनपुरवा से ही सीएम और डिप्टी सीएम सहित मंत्री आवासों को सप्लाई होती है। यहां से फिलहाल कालिदास, विक्रमादित्य मार्ग, राजभवन, गुलिस्तां, गौतमपल्ली, एमजी मार्ग पर भी सप्लाई हो रही है।
UPPCL चेयरमैन के इनकार से फंसा पेंच
बता दें कि ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के बीच सोमवार को जिस समझौते पर सहमति बनी थी। उसके तहत घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को सुधार के लिए मौका दिया गया था। मंत्री ने सुधार के लिए बिजलीकर्मियों को 31 मार्च तक का समय दिया था, जिसके बाद मार्च तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को टालने पर सहमति बनी थी। इसके बाद बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति ने आंदोलन वापस लेने का ऐलान कर दिया था, लेकिन यूपीपीसीएल चेयरमैन इसके लिए तैयार नहीं हुए और बात बिगड़ गई।
ये है पूरा मामला
बता दें कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अरबों के घाटे में है, जिसके बाद सरकार ने कर्मचारियों को चेताया था। बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हुआ। बिजली चोरी, कटिया कनेक्शन और बिजली बिल की वसूली करने में लापरवाही देखने को मिली, जिसके बाद सरकार ने इसे निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया। जिसके विरोध में 5 अक्टूबर से बिजलीकर्मी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार कर रहे हैं।