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05 जनवरी से 04 फरवरी तक चलेगा प्रदेशव्यापी सड़क सुरक्षा अभियान: सीएम योगी

Writer D by Writer D
03/01/2023
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
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CM Yogi

CM Yogi

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने मंगलवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सड़क सुरक्षा (Road Safety) सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में प्रयास करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री (CM Yogi) के निर्देशानुसार आगामी 05 जनवरी से 04 फरवरी तक प्रदेशव्यापी सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री (CM Yogi) द्वारा दिये गए प्रमुख दिशा-निर्देश।।

विगत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का मौसम है। इस अवधि में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। सड़क दुर्घटना में किसी की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुःखद है। इसे न्यूनतम करने के लिए हमें “5E यानी एजुकेशन, एनफोर्समेंट, इंनियरिंग, इमरजेंसी केयर और एनवायरमेंट” पर फोकस करते हुए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। विगत एक वर्ष के भीतर प्रदेश में 21,200 से अधिक लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटनाओं में हुई है,  जबकि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के पिछले पौने तीन वर्ष की अवधि में प्रदेश में 23,600 लोगों की मृत्यु हुई है। यह स्थिति चिंताजनक है।

सड़क सुरक्षा केवल एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। यह सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकेगा। अतः सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय के साथ वृहद अभियान चलाया जाना जरूरी है। आगामी 05 जनवरी से 04 फरवरी तक प्रदेशव्यापी सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जाए। इसे सफल बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए। सड़क दुर्घटना के प्रमुख कारकों में खराब रोड इंनियरिंग के अलावा, ओवरस्पीडिंग, ओवरलोडिंग, सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग न करना और नशे की स्थिति में वाहन चलाना प्रमुख हैं। कानपुर नगर, आगरा, प्रयागराज, अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा जैसे बड़े शहरों में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। एक्सप्रेस-वे अथवा राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े इन शहरों को केंद्रित कर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। ओवरलोडिंग रोकने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाए।

खराब रोड इंनियरिंग बड़ी दुर्घटनाओं का कारक बनती है। पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई के मार्गों पर चिह्नित ब्लैक स्पॉट के अल्पकालिक और दीर्घकालिक सुधारीकरण के लिए जारी कार्य गुणवत्ता के साथ यथाशीघ्र पूरा किया जाए। यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा होमगार्डों की तैनाती भी की गई है। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप यातायात पुलिस के साथ होमगार्डों की तैनाती की जाए। जिलों में यातायात विभाग के कार्मिकों के लिए पुलिस लाइन की स्थापना पर भी विचार किया जाना चाहिए। प्रदेश में संचालित और प्रस्तावित सभी आईटीएमएस को यूपी 112 से इंटीग्रेट किया जाए। इससे दुर्घटना व अन्य आवश्यकताओं के समय बेहतर तालमेल के साथ समय पर मदद मिल सकेगी।  यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन का पंयन नम्बर और उस पर लगे फास्टटैग में दर्ज वाहन संख्या में एकरूपता हो। कतिपय स्थानों पर इसमें गड़बड़ी की सूचनाएं भी मिल रही हैं। ऐसी गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

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राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर ओवरस्पीड के कारण आए दिन दुर्घटनाओं की सूचना मिलती है। पिछले एक वर्ष में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से 38 प्रतिशत ओवर स्पीड के कारण घटित हुईं। इसी प्रकार, गलत दिशा में वाहन चलाने के कारण 12 प्रतिशत और मोबाइल पर बात करने के कारण करीब 9 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं। ब्लैक स्पॉट के सुधारीकरण, स्पीड मापन, त्वरित चिकित्सा सुविधा, सीसीटीवी आदि व्यवस्था को और बेहतर करने की जरूरत है। सम्बंधित प्राधिकरणों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए कार्य करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि राजमार्गों पर ट्रकों की कतारें न लगें।  राज्य सड़क परिवहन की बसों के चालकों का नेत्र परीक्षण नियमित अंतराल पर किया जाए। इसके लिए परिवहन और चिकित्सा विभाग द्वारा समन्वय के साथ बेहतर कार्ययोजना तैयार करें। फिटनेस के मानकों को पूरा न करने वाली परिवहन निगम की बसों का कतई प्रयोग न किया जाए।

विगत एक वर्ष के रिकॉर्ड बताते हैं कि करीब 40% दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुईं, जबकि राज्य राजमार्ग पर 30% दुर्घटनाएं घटीं। ऐसे में एक्सप्रेस-वे, स्टेट हाइवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर पेट्रोलिंग को बढ़ाया जाए। दुर्घटना की स्थिति में तत्काल दुर्घटनाग्रस्त वाहन को मार्ग से हटाया जाए। इसके लिए क्रेन की संख्या को बढ़ाने की जरूरत है।  ट्रॉमा सेवाओं को और बेहतर करने के लिये गृह, परिवहन, पीडब्ल्यूडी, एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ समन्वय बनाएं। एम्बुलेंस रिस्पॉन्स टाइम को और कम करने की जरूरत है। गोल्डन ऑवर की महत्ता को समझें। घायल जितने जल्दी अस्पताल पहुँचेगा, क्षति उतना ही कम होगा। ट्रॉमा सेंटर में अन्य सेवाओं के साथ साथ ऑर्थोपेडिक और न्यूरो सर्जन की तैनाती जरूर हो।

जिन क्षेत्रों में ट्रॉमा सेवाओं का अभाव है, स्वास्थ्य विभाग द्वारा तत्काल आवश्यक प्रबंध किए जाएं। सड़क आवागमन के लिए है, न कि पार्किंग के लिए। नगरों में पार्किंग की व्यवस्था को और सुदृढ़ करना होगा। स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अवैध टैक्सी स्टैंड की समस्या का स्थायी समाधान करे। यह सुनिश्चित करें कि कोई तय स्थान के बाहर दुकान न लगाए। स्पीड ब्रेकर निर्माण करते समय लोगों की सुविधा का ध्यान भी रखें। स्पीड ब्रेकर कमरतोड़ू नहीं, टेबल टॉप हों।

बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मरीजों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। खराब डिजाइनिंग की वजह से अक्सर लोग स्पीड ब्रेकर के किनारे से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं, जिससे दुर्घटना भी होती है। सड़क सुरक्षा के प्रति हमें जनजागरूकता बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम करना होगा। आगामी 48 घंटे के भीतर सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित बड़े चित्र जागरूकता स्लोगन के साथ प्रदेश के सभी थानों, तहसीलों, प्रमुख बाजारों, चौराहों पर लगाए जाएं। परिवहन विभाग व सूचना विभाग द्वारा समन्वय के साथ इसे तत्काल कराया जाए। यातायात नियमों के पालन कराने के लिए चालान अथवा अन्य एनफोर्समेंट की कार्यवाही स्थायी समाधान नहीं है। हमें जागरूकता पर बल देना होगा। स्कूल-कॉलेजों में बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है।

ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दी जानी चाहिए। इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। परिवहन विभाग के सहयोग से चित्रों के माध्यम से बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए प्रेरित किया जाए। बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में प्रातःकालीन प्रार्थना के दौरान बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए। माध्यमिक विद्यालयों में निबंध लेखन/भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हो। इससे बच्चों और किशोरों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। डीआईओएस, बीएसए स्कूलों में जाएं, जागरूकता कार्यक्रमों में प्रतिभाग करें। नशे की स्थिति में वाहन चलाना दुर्घटना को आमंत्रण देना है। इसके लिए आबकारी विभाग को भी जागरूकता का प्रसार करना होगा।

Tags: cm yogiLucknow Newsroad safety
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