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ओवैसी के गढ़ पहुंच रहे है सीएम योगी, भाग्यलक्ष्मी मंदिर में करेंगे पूजा

cm yogi

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) आज यानि शनिवार को असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ कहे जाने वाले हैदराबाद में पहुंच रहे हैं। वह भाग्यलक्ष्मी मंदिर (Bhagyalakshmi Temple)  भी जाएंगे। असल में सीएम योगी ने इससे पहले हैदराबाद में हुए नगर निगम चुनाव के दौरान ही हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर रखने की इच्छा जताई थी और कहा था कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हैदराबाद का नाम बदला जाएगा।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिन की बैठक हो रही है। इस बैठक में यूपी के मुख्यमंत्री को भी शामिल होना है। कहा जा रहा है कि बैठक में भाजपा अपने दक्षिण भारत विजय अभियान पर चर्चा करेगी। इसके साथ ही मीटिंग के बाद यूपी भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष भी मिलने की संभावना है।

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा दक्षिण भारत के मिशन पर फोकस कर रही है। इसी वजह से पार्टी हैदराबाद में कार्यकारिणी की यह बैठक कर रही है। यहां से भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पैठ जमाना चाहती है।

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हैदराबाद को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का गढ़ माना जाता है। भाजपा का प्लान ओवैसी और सीएम के. चंद्रशेखर राव को उन्हीं के गढ़ में घेरने की है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम योगी इसके लिए मुनासिब हैं। योगी के हिंदुत्व और विकास मॉडल की देशभर में चर्चा हो रही है।

आज हैदराबाद के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में दो दिन तक चलने वाली इस बैठक में PM नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित सभी बड़े शीर्ष नेता शामिल होंगे। स्वतंत्र देव सिंह और यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक भी शामिल होंगे।

राममंदिर की तरह भाग्यलक्ष्मी मंदिर का था भूमि विवाद

अयोध्या राम मंदिर की तरह ही भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी भूमि विवाद का केंद्र रहा है। ऐसा आरोप लगता रहा है कि पहले मंदिर का निर्माण किया गया था और बाद में चारमीनार संपत्ति पर ही अतिक्रमण कर लिया गया। एएसआई ने रेकॉर्ड पर यह भी कहा था कि परिसर से सटे इस मंदिर जैसी संरचनाओं के कारण चारमीनार ने यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में अपना नामांकन नहीं करा पाया। मंदिर का गर्भ गृह की दीवार दरअसल चारमीनार की ही दीवार है। हालांकि हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर चारमीनार जितना ही पुराना है।

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