उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अपने सरकारी आवास पर विक्रम सम्पत की लिखी पुस्तक ‘सावरकर-एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव तथा पितृ पक्ष के अवसर पर प्रखर राष्ट्र भक्त विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, का स्मरण वास्तव में उनके प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि स्वाधीन भारत के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष, त्याग और बलिदान का आदरपूर्वक स्मरण हम सभी का कर्तव्य है। इस कार्य को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से किया जा रहा है। इस दृष्टि से महान देशभक्त वीर सावरकर पर विक्रम सम्पत की पुस्तक का प्रकाशन अत्यन्त प्रासंगिक, सराहनीय और अभिनन्दनीय है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर सावरकर बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन में अग्रणी रहने के साथ-साथ पत्रकारिता, दर्शन, साहित्य, इतिहास, अस्पृश्यता निवारण, समाज सुधार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने 10 वर्ष की आयु से ही भारत को स्वतंत्र कराने की अलख जगायी।
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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने के लिए वीर सावरकर जी अण्डमान की सेल्युलर जेल की कोठरी में वर्षाें तक रहे। उन्हें दो बार आजन्म कारावास की सजा हुई। इस दौरान वीर सावरकर जी ने कभी नाखूनों को बढ़ा कर, कभी कीलों-कांटों से अथवा बर्तनों को घिस-घिस कर उनकी नोकों से कोठरी की चारों दीवारों पर साहित्यिक रचनाएं उकेरनी आरम्भ कीं। वह भी ऐसी अद्भुत विधि से कि आज भी सहज विश्वास नहीं होता। कभी नाटक, कभी कविता, कभी उपन्यास, कभी इतिहास और कभी आत्मकथा-इन सभी विधाओं में प्रतिदिन कुछ न कुछ उन दीवारों पर लिखना, उन्हें कंठस्थ करना और मिटा देना। यह सृजन प्रक्रिया निरन्तर दस वर्ष तक चलती रही।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में सन् 1857 की शौर्यगाथा को देश के स्वाधीनता संघर्ष का प्रथम प्रयास बताया था। इस पुस्तक ने अनेक क्रान्तिकारियों और युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपनी सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा दी थी। वीर सावरकर से प्रेरणा पाकर हजारों युवक क्रांति की मशाल लेकर अंग्रेजों के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गये थे।
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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर सावरकर ने भारत को दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया था। उनका स्मरण निराशा व हताशा को पराजित कर उत्साह व उमंग का स्फुरण करता है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर का सम्बन्ध उत्तर प्रदेश के लखनऊ तथा गोरखपुर जनपदों से विशेष रूप से रहा। वीर सावरकर के दर्शन व विचारों से प्रभावित होकर इस प्रदेश में भी लोग आजादी के पूर्व और उसके बाद देशभक्ति व राष्ट्रवाद को केन्द्र बिन्दु में रखते हुए कई आन्दोलनों के सहभागी रहे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो सपना वीर सावरकर ने 100 वर्ष पूर्व देखा था। आज भारत का नवनिर्माण उसी स्वप्न और विचारों के अनुरूप हो रहा है। आज भारत में अलगाववाद, आतंकवाद और उग्रवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बिना किसी भेदभाव के जाति, पंथ, मत और मजहब से ऊपर उठकर समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए जनकल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसका लाभ सभी को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वीर सावरकर के व्यक्तित्व और कृतित्व का आकलन समय की आवश्यकता है। उनकी दृष्टि भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और अक्षुणता को बनाए रखने की थी। भारत की सनातन परम्परा और मूल्यों को कायम रखकर ही हम मानवता की सुरक्षा कर सकते हैं। देश और दुनिया को नयी दिशा दे सकते हैं। भारत को उसकी आध्यात्मिक विरासत के साथ उन्नति के शिखर पर ले जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विक्रम सम्पत जी ने अथक परिश्रम कर दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर शोध और तथ्यपरक दस्तावेजों के आधार पर गम्भीर अध्येता के रूप में वीर सावरकर जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को प्रदर्शित करने का अभिनव प्रयास किया है, जो आज के समय की आवश्यकता है। उन्हांेने आशा व्यक्त की कि पुस्तक ‘सावरकर-एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज’ के माध्यम से युवा पीढ़ी सहित सभी पाठकों को वीर सावरकर जी के प्रेरणादायी व्यक्तित्व के सम्बन्ध में उपयोगी जानकारी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पुस्तक के लेखक विक्रम सम्पत ने मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तक का प्रकाशन एक श्रमसाध्य कार्य था। जिसमें उन्हें अपनी माँ का अतुलनीय सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने वीर सावरकर जी को भारत का महान सपूत और सच्चा देशभक्त बताते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व को पुस्तक के रूप में समेटना एक कठिन कार्य था, जिसमें उन्हें सफलता मिली। वीर सावरकर जी की जीवनी को तथ्यांे और दस्तावेजों के आलोक में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। मुख्यमंत्री जी के कर-कमलों से वीर सावरकर जी पर आधारित पुस्तक का विमोचन अभिनन्दनीय और सराहनीय है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 नवनीत सहगल सहित प्रभा खेतान फाउण्डेशन, एहसास महिला संगठन, पेंगुइन रेंडम हाउस के पदाधिकारीगण, मीडियाकर्मी, लेखक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।