भोपाल। मध्य प्रदेश में भी कोयले का संकट खड़ा हो रहा है। राज्य में कोयला स्टॉक घट रहा है और उत्पादन क्षमता नहीं होने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। केंद्र से कोयले की आयात क्षमता नहीं सुधरी तो आने वाले दिन संकट भरे हो सकते हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में छुटपुट कटौती के अलावा कहीं भी ऐसी स्थिति नहीं है कि बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो रही हो। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि, अभी की स्थिति चिंताजनक नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में 4 सरकारी पॉवर प्लांट्स हैं। अमरकंटक, सारणी, संजय गांधी और श्रीसिंगाजी। प्रदेश में पिछले साल 6 अक्टूबर को 15 लाख 86 हजार टन कोयला स्टाक में था, जबकि आज 2 लाख 23 हजार टन स्टॉक है। यही वजह है कि 5,400 मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्रों में मात्र 2 से 3 हजार मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है।
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जिसके बाद, लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली की मांग के बराबर आपूर्ति करने के लिए केंद्रीय एवं निजी क्षेत्र से 6.5 हजार मेगावाट बिजली ली जा रही है। मध्य प्रदेश के रिजेनेरेशन के बाद भी 80 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत पड़ती है।
वहीं, कोयला संकट पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह का कहना है कि, बीते 24 घंटे में 10740 मेगा वाट मांग थी। हमने 8 लाख मैट्रिक टन कोयला खरीदने का टेंडर किया है। 10 घंटे बिजली पंप पर और 24 घंटे बिजली गांव में हम दे रहे हैं। कुछ ऐसी जगह है जहां हमारे फीडर नहीं हुए हैं उन दुकानों पर कुछ असर है. बिजली कटौती होती है तो सभी स्त्रोतों से जानकारी लेकर के उसका समाधान करते हैं। हमने केंद्र सरकार से अतिरिक्त कोयले की मांग की है और हाल ही में हमारे पास कोयले के अतिरिक्त रैक आए भी हैं।