जयपुर। राजस्थान में गुर्जर नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने गुर्जर आंदोलन के लिए कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की हठधर्मिता को जिम्मेदार ठहराया है। कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे विजय सिंह बैंसला की राजनीतिक स्थापना व मीडिया में बने रहने के लिए रेल पटरियों को चुना है।
गुर्जर ने सोशल मीडिया के जरिए कर्नल बैंसला पर केवल अपने बेटे को आगे लाने का आरोप लगाया है। कहा कि जब सरकार गुर्जरों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, तो आंदोलन शुरु करने से पहले उसके साथ वार्ता करनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज के पंच पटेलों ने एक राय होकर सरकार के साथ बातचीत की। वार्ता सफल भी रही और 14 बिन्दु पर सहमति बनी जिसमें गुर्जरों की सभी मांगें आ गई थी। उन्होंने कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे की राजनीतिक स्थापना व मीडिया में बने रहने के लिए इस समझौते को नहीं माना और 50-60 लोगों को साथ लेकर रेल पटरियों पर जाम लगाकर आंदोलन शुरु कर दिया।
जबकि जब सरकार बातचीत के लिए तैयार हैं और वह इसके लिए बुला रही हैं तो बातचीत की जानी चाहिए, लेकिन कर्नल बैंसला ने अपने बेटे के लिए केवल पटरियों पर ही बातचीत करने की हठधर्मिता अपना ली। उन्होंने कहा कि जब खेल मंत्री अशोक चांदना बातचीत के लिए आगे आये तब उन्होंने उनसे वार्ता क्यों नहीं की। जब उन्हें बातचीत पटरियों पर ही करनी थी तो अब बातचीत के लिए जयपुर क्यों आ रहे हैं?
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गुर्जर ने कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई राजा की गद्दी नहीं हैं जो बेटे को सौंप दी हैं। उन्होंने कहा कि गुर्जरों का यह सामाजिक आंदोलन हैं और गुर्जर समाज यह संदेश देना चाहता था कि वह अपनी मांगों के लिए बातचीत के लिए तैयार हैं।
वर्ष 2007 से आंदोलन में मुकदमों का दर्द झेल रहा गुर्जर समाज ऐसी समस्याओं से बचने के लिए बातचीत की पहल की और उनकी वार्ता सकारात्मक भी रही। लेकिन कर्नल बैंसला की हठधर्मिता कुछ लोगों को रेल पटरी पर पहुंचा दिया। उन्होंने कहा कि इस कारण इस आंदोलन में गुर्जर समाज के ज्यादा लोग नहीं जुट पाये।