नई दिल्ली। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन सुभाष खुंटिया ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वह सूक्ष्म, छोटे एवं मझौले उद्योग (एमएसएमई) के कामगारों के लिए भी बीमा उत्पाद पेश करें। उन्होंने कहा कि एमएसएमई के साथ मिलकर कंपनियां इसके लिए सस्ती बीमा पॉलिसी पेश कर सकती हैं। खुंटिया ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के स्वास्थ्य बीमा सम्मेलन में कहा, ‘मैं बीमा कंपनियों से बीमारी केंद्रित और उत्पाद बनाने का आग्रह करुंगा।
खुंटिया ने कहा कि एक कंपनी यदि अपने कर्मचारी को 10 हजार रुपये प्रति माह वेतन देती है तो इसका मतलब है कि वह सालना 1.20 लाख रुपये खर्च करती है। ऐसे में वह पांच लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए पांच हजार रुपये प्रति कर्मचारी और खर्च कर सकती है। इरडा के अनुसार, कंपनियां आसानी से कामगारों के प्रीमियम का बोझ उठा सकती हैं।
खुंटिया ने कहा कि एमएसएमई कामगारों को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने को लेकर यह बहुत बड़ा कदम हो सकता है और कोरोना एवं लॉकडाउन ने हमें इसका महत्व समझा दिया है।
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खुंटिया ने स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से मधुमेह, किडनी की समस्या जैसी बीमारियों पर केंद्रित उत्पाद लाने को कहा। इरडा के चेयरमैन ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को लोगों की जरूरतों के अनुसार नए-नए उत्पाद लाने चाहिए। खुंटिया ने कहा, मैं बीमा कंपनियों से बीमारी केंद्रित और उत्पाद बनाने का आग्रह करूंगा। जैसे मधुमेह, हृदय या किडनी संबंधित बीमारियों के लिए अलग से उत्पाद बनाए जा सकते हैं।
खुंटिया ने यह भी कहा कि अभी बड़ी संख्या में स्वास्थ्य बीमा 40 से 50 साल के आयु वर्ग के लोग ले रहे हैं। उन्होंने कहा, अगर अधिक संख्या में युवा आबादी स्वास्थ्य बीमा लेती है, और चूंकि संभव है, उनमें से ज्यादातर बीमार नहीं पड़े, इससे वे स्वास्थ्य बीमा कोष में योगदान दे सकेंगे। इससे अन्य लोगों को लाभ होगा।