लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि दुष्कर्म व बच्चों की लैंगिक अपराधों से हिफाजत (पॉक्सो) एक्ट के मुकदमों में पीड़िता के मुकरने पर उसे मिली क्षतिपूर्ति की धनराशि (Compensation) की वसूली की जाए। न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाते हुए कहा, सरकार तीन माह में मुकरने वाली पीड़िताओें से वसूली करे।
अदालत (High Court) ने यह आदेश शुक्रवार को जीतन लोध उर्फ जितेन्द्र की जमानत अर्जी पर दिया। पीड़िता के घर में घुसकर दुष्कर्म करने व पाॅक्सो एक्ट के आरोपों वाला यह मामला उन्नाव के गंगाघाट थाने से संबंधित था। इसमें निचली अदालत में जिरह केे दौरान अहम गवाह के रुप में पीड़िता ने अभियोजन केस का समर्थन नहीं किया। यहां तक कि तफ्तीश के दौरान अदालत में दिए गए अपने कलमबंद बयान से भी मुकर गई। वादी मुकदमा के रुप में गवाह पीड़िता का भाई भी अपने बयान से मुकर गया। ऐसे में जेल में बंद आरोपी को जमानत पर रिहा किए जाने का आग्रह किया गया। उधर, सरकारी वकील राजेश कुमार सिंह ने इन गवाहों के विवेचना के दौरान पहले किए गए कथन (जिसमें अभियोजन का समर्थन किया गया था), का हवाला देकर जमानत का विरोध किया। कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली।
इसके बाद सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि दुष्कर्म व पाॅक्सो के मामलों में राज्य सरकार, पीड़िता व उसके परिवार को अर्थिक मदद मुहैया कराती है। उन्होंने अदालत को बताया कि दुष्कर्म के मामलों में पीड़िताओं के मुकरने के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में पीड़िता या उसके परिवार को अगर कोई मुआवजा मिला हो तो उसे वसूला जाना चाहिए। सरकारी वकील ने ऐसे केसों का हवाला दिया और कहा कि यह कानून का दुरुपयोग है। कोर्ट ने इस मुद्दे का सख्त संज्ञान लेकर कहा कि अगर पीड़िता पूरी तरह बयान से मुकर जाए और अभियोजन केस का समर्थन न करे तो ऐसे में पीड़िता को मिली मुआवजे की रकम वसूल किया जाना उचित है।
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अदालत (High Court) ने कहा कि सरकारी खजाने पर इस तरह भार नहीं डाला जा सकता, क्योंकि इसमें कानूनों का पूरी तरह दुरुपयोग होने की संभावना है। ऐसे में पीड़िता या उसके परिजनों को दिए गए मुआवजे की वसूली उन प्राधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए, जिन्होंने इसे दिया है।
कोर्ट (High Court) ने सरकार को यह कारवाई तीन माह में पूरी करने को कहा है। साथ ही आदेश के पालन को इसकी प्रति मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश कोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार को दिया है। मामले को अगस्त के दूसरे हफ्ते में सूचीबद्ध करने का आदेश देकर कोर्ट ने कहा अगली सुनवाई पर सरकारी वकील इसकी प्रगति रिपोर्ट पेश करेंगें।