नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हुई गरमा-गरमी बहस के बीच पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं को मनाने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो गई है, ताकि स्थिति को सामान्य किया जा सके। कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद से फोन पर बात की है।
गौरतलब है कि पत्र विवाद पर राहुल गांधी के बयान से आहत आजाद ने कार्यसमिति की बैठक में कहा था कि यदि भाजपा से संबंध की बात साबित हो जाती है तो वह इस्तीफा दे देंगे। वह इस बयान से खासा नाराज थे।
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सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक समाप्त होने के बाद सोनिया ने आजाद के साथ फोन पर बातचीत की। माना जा रहा है कि इस बातचीत में मतभेदों को दूर करने पर जोर दिया गया।
राहुल ने कार्यसमिति की बैठक में कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं की भाजपा से सांठगांठ है, इस पर आजाद ने खासी नाराजगी जाहिर की। बैठक में उन्होंने कहा कि यदि भाजपा से संबंध होने की बात सच साबित होती है तो वह अभी इस्तीफा दे देंगे।
दूसरी तरफ, सोनिया और राहुल गांधी का आजाद को फोन करना इस बात का संकेत है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं को छिटकने नहीं देना चाहती है और वह असंतुष्ट गुट से सुलह करना चाहती है। हालांकि, अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि तीनों नेताओं ने एक-दूसरे से क्या बातचीत की, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतभेदों को दूर करने पर ही चर्चा हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं का इरादा देश के मौजूदा माहौल को लेकर साझा चिंताओं से नेतृत्व को अवगत कराना था और यह सब पार्टी के हित में किया गया।
पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल राज्यसभा सदस्य तन्खा ने ट्वीट किया, ‘ हम विरोधी नहीं हैं, बल्कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के पैरोकार हैं। यह पत्र नेतृत्व को चुनौती देना नहीं था, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए था। चाहे अदालत हो या फिर सार्वजनिक मामले हों, उनमें सत्य ही सर्वश्रेष्ठ कवच होता है। इतिहास बुजदिल को नहीं, बहादुर को स्वीकारता है।’
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इन 23 नेताओं में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने सोनिया गांधी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए और उनके अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि पत्र का मकसद पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव और अन्य चुनावों के लिए तैयार करना था तथा पार्टी के प्रति उनकी वफादारी जीवन भर रहेगी।