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कांग्रेस किसानों के साथ कृषि क़ानूनों के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी : सोनिया

सोनिया गांधी

सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार किसी से सलाह मशविरा किए बिना तीन काले कानून लेकर आई है और कांग्रेस किसानों के साथ इन कानूनों के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी।

श्रीमती गांधी ने शुक्रवार को यहां जारी एक वीडियो संदेश में कहा कि किसान ने अपनी मेहनत से कोरोना जैसी महामारी के दौर में देश की असाधारण सेवा की और उन्हीं की बदौलत इस संकट में देशवासियों को मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराया जा सका है लेकिन किसान विरोधी और जन विरोधी मोदी सरकार ने कृषि विरोधी तीन कानून बनाकर देश के किसानों की साथ नाइंसाफी की है।

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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा “आज किसानों, मज़दूरों और मेहनतकशों के सबसे बड़े हमदर्द, महात्मा गांधी की जयंती है। गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा भारत के गांव, खेत और खलिहान में बसती है। आज ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है।”

मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण आज देश का किसान और खेत मजदूर कृषि विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहा है। अपना खून पसीना देकर देश के लिए अनाज उगाने वाले अन्नदाता किसान को मोदी सरकार खून के आंसू रुला रही है।

उन्होंने कहा, “कोरोना महामारी के दौरान हम सबने सरकार से मांग की थी कि हर जरूरतमंद देशवासी को मुफ़्त में अनाज मिलना चाहिए। तो क्या हमारे किसान भाइयों के बग़ैर ये संभव था कि हम करोड़ों लोगों के लिए दो वक्त के भोजन का प्रबंध कर सकते थे।”

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श्रीमती गांधी ने कहा कि श्री मोदी अन्नदाता किसानों पर अन्याय कर रहे हैं। उनके साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। उन्होंने किसानों के लिए जो कानून बनाए उनके बारे में उनसे सलाह मशविरा तक नहीं किया गया। प्रधानमंत्री ने किसानों के हितों को नज़रअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तों से बात करके किसान विरोधी तीन काले कानून बना दिए।

उन्होंने कहा “जब संसद में भी क़ानून बनाते वक्त किसान की आवाज़ नहीं सुनी गई, तो वे अपनी बात शांतिपूर्वक रखने के लिए गांधी जी के रास्ते पर चलते हुए मजबूरी में सड़कों पर आए। लोकतंत्र विरोधी, जन विरोधी सरकार द्वारा उनकी बात सुनना तो दूर उन पर लाठियां बरसाईं गयी। किसान और खेत मजदूर सिर्फ इन कानूनों में अपनी मेहनत की उपज का सही दाम चाहते हैं और ये उनका बुनियादी अधिकार है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब अनाज मंडियां खत्म हो जाएंगी तो जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट मिलेगी। जब किसान की ज़मीन खेती के लिए पूजीपतियों को सौंपी जाएगी तो करोड़ों छोटे किसानों की रक्षा कौन करेगा। किसान के साथ ही खेत-मज़दूरों और बटाईदारों का भविष्य भी जुड़ा है। मंडियों में काम करने वाले छोटे दुकानदारों और मंडी मजदूरों के अधिकारों की रक्षा कौन करेगा।

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उन्होंने कहा “कांग्रेस ने हमेशा हर क़ानून जन सहमति से ही बनाया है। कानून बनाते समय जन हितों को सबसे ऊपर रखा, लोकतंत्र के मायने भी यही हैं कि देश के हर निर्णय में देशवासियों की सहमति हो। लेकिन क्या मोदी सरकार इसे मानती है। शायद उसे याद नहीं है की वह किसानों के हक के ‘भूमि के उचित मुआवजा कानून’ को अध्यादेश के माध्यम से भी बदल नहीं पाई थी। तीन काले कानूनों के खिलाफ भी कांग्रेस संघर्ष करती रहेगी। मैं दावे के साथ कहना चाहती हूँ कि किसान और कांग्रेस का यह आंदोलन सफल होगा और किसान भाईयों की जीत होगी।”

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