जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच कांग्रेस आज पूरे राज्य में हर जिला मुख्यालय पर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर राजस्थान कैबिनेट की बैठक हुई। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि गहलोत सदन में बहुमत साबित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ और राज्य के लोगों के लिए लड़ने के लिए एक विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है।’
इंदौर में कोरोना के 153 नये मामले, संक्रमितों की संख्या 6709 हुई, अब तक 303 मौतें
सुरजेवाला ने कहा, ‘हम विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, जो यह कह रहे हैं कि कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है, उन्हें चुप कराना चाहते हैं। हमारे पास पूर्ण बहुमत है। राज्यपाल ने बताया कि वह संविधान का पालन करेंगे।उन्होंने सीएम को एक नोट दिया है, जिस पर गौर किया जाएगा। राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 174 का पालन करना होगा।’
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच मतभेद सामने आने के बाद से राजस्थान में राजनीतिक संकट जारी है। पिछले हफ्ते कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 18 विधायकों को अयोग्यता नोटिस भेजा था। पायलट और उनके समर्थन विधायक नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गए। मामले में शुक्रवार को पायलट समेत 19 विधायकों को इस नोटिस पर हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की पायलट खेमे की अर्जी भी स्वीकार कर ली। वहीं, विधानसभा सत्र बुलाकर संकट टालने की कांग्रेस की कोशिश भी सिरे नहीं चढ़ी। इससे तमतमाई कांग्रेस अपने व समर्थन दे रहे विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गई और घंटों धरने पर बैठी रही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो धमकी तक दे दी कि अगर जनता राजभवन को घेर लेती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगे। कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा के खिलाफ प्रदेशभर में धरना देने का एलान किया है।
सीआरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर ने वरिष्ठ निरीक्षक की हत्या करने के बाद की आत्महत्या
पूरे घटनाक्रम पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री से कानून व्यवस्था पर स्पष्टीकरण मांगा है। देर रात जारी पत्र में उन्होंने पूछा कि आप और आपके गृहमंत्री अगर राज्यपाल को सुरक्षा नहीं दे सकते तो राज्य में कानून व्यवस्था के बारे में क्या कहा जाए? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाए? संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। किसी प्रकार के दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। आज तक हमने किसी मुख्यमंत्री का इस तरह का बयान नहीं सुना। यदि सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र बुलाने क्या औचित्य है।
राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार गिराने के पीछे भाजपा की स्पष्ट साजिश का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए। इससे देश की जनता के सामने सच्चाई आ सकेगी। कांग्रेस राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र पर विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने के लिए अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन नहीं करने और केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगा रही है। राहुल ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि देश का शासन संविधान और कानून से चलता है। सरकारें जनादेश से बनती और चलती हैं। राजस्थान की सरकार गिराने में भाजपा की साजिश स्पष्ट है।
ऐसे बढ़ता गया विवाद
पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने फोन टैपिंग कर 10 जुलाई को दावा किया था कि गहलोत सरकार गिराने की साजिश रची गई है। अगले दिन पायलट और उन्हें समर्थन देने वाले विधायक दिल्ली चले गए। गहलोत की बुलाई विधायक दल की बैठक में भी जब पायलट खेमे के विधायक नहीं पहुंचे, तो कांग्रेस ने स्पीकर से शिकायत की। 14 जुलाई को स्पीकर ने इनको नोटिस जारी कर पूछा था- क्यों न आपको अयोग्य घोषित कर दिया जाए? 16 जुलाई को पायलट खेमा हाई कोर्ट पहुंच गया। 17 जुलाई को सिंगल बेंच ने सुनवाई की और मामला दो जजों की बेंच में भेजा। इस बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की। 20 और 21 जुलाई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया और स्पीकर को निर्देशित किया कि तब तक नोटिस पर कार्रवाई न करें। हाई कोर्ट के इस निर्देश के खिलाफ 22 जुलाई को स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट चले गए। 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई को रोकने से इनकार कर दिया और सोमवार को सुनवाई तय की।