वाराणसी। ज्ञानवापी शृंगार गौरी (Gyanvapi Shringar Gauri) मामले में विवाद लगातार गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को इस मामले में जिला न्यायालय में सुनवाई होनी है। इसके पहले ही ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर भाजपा नेता एवं श्री काशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने बड़ा आरोप लगाया है।
उन्होंने वीडियो वायरल कर दावा किया कि मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के रखरखाव और रंगरोगन के लिए मस्जिद प्रबंधन से जुड़े लोगों ने माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) से 10 लाख रुपये चंदा लिया था। इसकी जांच होनी चाहिए। सुधीर सिंह ने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की फंडिंग करने वाले कौन-कौन लोग हैं।
सुधीर सिंह ने मीडियाकर्मियों से कहा कि वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उन दिनों वे भी पार्टी में थे। तब मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) गाजीपुर जेल में बंद था और उसे यूरिक एसिड की समस्या हुई थी। इसके चलते उसे उपचार के लिए वाराणसी जेल लाया गया था। उपचार के लिए मुख्तार अंसारी को बीएचयू अस्पताल के स्पेशल वार्ड में भर्ती किया गया था।
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सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (mulayam Singh) के कहने पर वे मुख्तार अंसारी को देखने बीएचयू अस्पताल गए थे। इसी दौरान बीमार मुख्तार अंसारी से मिलने के लिए मौलाना मुफ्ती बातिन आए थे। उन्होंने मुख्तार अंसारी से ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के रखरखाव और रंगरोगन में आड़े आ रही पैसे की समस्या की बात कही थी। इस पर मुख्तार अंसारी ने अपने खास शाहिद से कह कर अपने वाहन से 10 लाख रुपये मंगवा कर उन्हें दिए थे।
बातचीत के दौरान मुख्तार अंसारी ने मौलाना मुफ्ती बातिन को भरोसा दिया था कि जब भी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) से संबंधित कोई समस्या हो तो वह शाहिद को फोन कर लिया करें। मुख्तार अंसारी ने कहा था कि हर महीने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के लिए पैसे मिल जाएगा करेगा, कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
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सुधीर सिंह ने बताया कि मेरे दोस्त समाजसेवी राकेश न्यायिक ने भी वीडियो बनाकर सबूत के साथ यह आरोप लगाए थे। मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि फिर वीडियो बनाकर इन तथ्यों को उजागर करें। सुधीर सिंह ने जिला प्रशासन से मांग की है अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को होने वाली फंडिंग की जांच हो।