अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मे 12 लाख घनफुट पत्थर लगेंगे। तीन स्तर पर लगने वाले इन पत्थरों में पिलिंथ तक उंचाई में 4 लाख घन फुट ,परकोटा के निर्माण में 4 लाख घन फुट व मुख्य मंदिर के निर्माण मे 4 लाख घनफुट से कुछ ज्यादा पत्थर लगेंगे। मंदिर की नींव की खुदाई 35 फुट गहराई तक हो चुकी है। अभी पांच फुट खुदाई बाकी है जो मार्च के अंत तक पूरी हो जाएगी। मंदिर की नींव की भराई का काम अप्रैल के पहले हफ्ते में शुरू हो जाएगा।
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक 44 दिनों तक चले निधि संग्रह अभियान में अब तक 2550 करोड़ रकम जमा होने के बाद अब मंदिर ट्रस्ट का सारा फोकस मंदिर के निर्माण में तेजी लाने पर है। उन्होंने राम मंदिर निर्माण की तकनीकी एक्शन प्लान के बारे में बताया कि 400 फुट लंबे 250 फुट चौड़े व 40 फुट गहरे आकार के प्लेटफार्म की खुदाई में अभी तक मलबे ही निकले हैं।
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चंपत राय ने बताया कि मिट्टी की सतह अब मिल रही है। 40 फुट की खुदाई के पूरे नींव के क्षेत्र पर रोलर चला कर इसे काम्पैक्ट किया जाएगा। उसके बाद मैटेरियल भर कर दो दो फुट पर रोलर चलाकर मजबूत लेयर तैयार करते 40 फुट तक ऊपर ले आएंगे। उन्होंने बताया कि 4 मार्च को इंजीनियरिंग टीम के विशेषज्ञों से विस्तृत वार्ता में यह बात सामने आई है कि 2023 तक मंदिर निर्माण पूरा करने का जो लक्ष्य रखा गया है। उसमें मंदिर बन जाएगा।
चंपत राय का कहना है कि मंदिर की नींव से लेकर पूरे निर्माण में विशेष इंजिनियरिंग विशेषज्ञों की टीम केवल इस लिए लगाई गई है, क्योंकि यह सामान्य मंदिर न होकर ऐतिहसिक मंदिर है। जिसके निर्माण में CDRI रूड़की ,IIT चेन्नई, IIT पुणे, IIT मुंबई, टाटा इंजिनियरिंग सर्विसेज व एलएंडटी, NGRI हैदराबाद जैसे नामी संस्थाओं के विशेषज्ञों को लगाया गया है।
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उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण मे लगे विशेषज्ञो के मुताबिक नींव मे जो मैटेरियल भरा जाएगा उसमें केवल 6 फीसदी ही सीमेंट का उपयोग किया जाएगा। बाकी पत्थर व अन्य मैटेरियल का प्रयोग किया जाएगा। इससे नींव चट्टान की तरह मजबूत बनेगी ।जिस पर प्राकृतिक आपदाओं का कोई असर नहीं पड़ेगा।
चंपत राय के मुताबिक 12 कारीगर वेंडरों को 20 साल से मैनुअल तरीके से तराश कर रखे पत्थरों के बारे में परख करवाई गई। जिनकी राय है कि 2006 से बंद कार्यशाला में रखे गए पत्थर व इन पर की गई कारीगरी उच्च कोटि की है। पत्थरों को तराशने के काम में तेजी लाने के लिए अब मैनुअल कारीगरों के अलावा आधुनिक मशीनों से भी पत्थरों को तराशा जाएगा।