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इस अस्पताल का विवादित फरमान, नर्सों के ‘मलयालम’ बोलने पर लगाया बैन

ban on nurses speaking 'Malayalam'

ban on nurses speaking 'Malayalam'

राष्ट्रीय राजधानी के जीबी पंत अस्पताल ने एक विवादित फरमान जारी कर दिया है। अस्पताल ने आदेश दिया गया है कि सभी नर्सिंग स्टाफ बातचीत के लिए केवल हिंदी या अंग्रेजी में बात करेंगे बाकी भाषा में बात करने पर वे कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

अब इस मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दखल दी है। राहुल ने कहा है कि मलयालम भी उतनी ही भारतीय भाषा है जितनी की कोई भाषा। भाषाओं के नाम पर भेदभाव बंद किया जाना चाहिए।

दरअसल अस्पताल को एक शिकायत मिली थी कि नर्सिंग स्टाफ अपने राज्य या लोकल भाषा में बात करते हैं। जिसके कारण मरीजों को असुविधा होती है।

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जीबी पंत अस्पताल ने इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एक सर्कुलर जारी किया है और जिसमें कहा गया है कि ऐसी शिकायत मिली है कि अस्पताल के वर्किंग प्लेस पर कम्युनिकेशन के लिए मलयालम भाषा का उपयोग किया जा रहा है। जबकि अधिकतर मरीज, और अन्य लोग इस भाषा को नहीं जानते हैं, जिसके कारण वे असहाय और असुविधा महसूस करते हैं। इसलिए सभी नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिया जाता है कि वे कम्युनिकेशन की भाषा के रूप में केवल और केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ही उपयोग करें। अन्यथा उन पर सीरियस एक्शन लिया जा सकता है।

ये सर्कुलर जीबी पन्त अस्पताल की नर्सिंग सुपरिटेंडेंट ने 5 जून यानी कल जारी किया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस मामले पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्विटर पर लिखते हुए कहा है ”ये आश्चर्यजनक है कि भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में एक सरकारी संस्थान अपनी नर्सों से कह सकता है कि वे उन लोगों से भी अपनी मातृभाषा में बात न करें जो उन्हें समझ सकते हैं। ये एकदम अस्वीकार्य है। मानवाधिकारों का उल्लंघन है” बता दें कि इस अस्पताल में बड़ी संख्या में केरल की नर्सें काम करती है। और इन नर्सों की भाषा मलयालम है।

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केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने इस सर्कुलर का विरोध किया है और कहा है कि मलयालम उतनी ही भारतीय है जितनी कि कोई और भाषा।

कांग्रेस सांसद और पार्टी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को एक पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है मलयालम नर्सों के लिए मातृभाषा है और ऐसा सर्कुलर उनके साथ बहुत ही विभेदकारी है। उनके मूलाधिकार का भी उल्लंघन है। इस सर्कुलर को जल्द से जल्द वापस लिया जाए।

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