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भाई और बहन के प्यार पर कोरोना का वार, राखी लौटा रहे हैं भाई

रक्षाबंधन के दिन छलका दर्द

रक्षाबंधन के दिन छलका दर्द

लाइफ़स्टाइल डेस्क। भाई और बहन के प्यार पर कोरोना का वार भारी पड़ गया है। बहनों से दूर रह रहे भाई अब संक्रमण के डर से उनकी राखियां भी लौटाने को मजबूर हैं। अकेले रामनगर और आसपास के क्षेत्रों में तीन हफ्तों के अंदर दो हजार से अधिक राखियां रिसीव न होने से डाकघर लौट आईं हैं और लगभग रोज सौ से अधिक राखियां लौट रही हैं।  इनमें यहां से महानगरों में भाइयों को भेजी और वहां से रामनगर भेजी गई राखियां भी हैं। रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। इसे देखते हुए दूर रह रहे भाइयों को बहनें एक माह पहले से राखियां भेजने लगी थीं।  मगर, लोग कोरोना संक्रमण के डर से पैकेट बंद राखियां लेने से परहेज कर रहे हैं। रामनगर डाकघर के अफसरों के अनुसार रोज सौ से अधिक राखियां वापस आ रही हैं। रामनगर और आसपास के क्षेत्रों से भेजी दो हजार राखियां वापस आई हैं।

रेड जोन के लिए प्रतिबंध

केंद्र ने दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई आदि शहरों में कोई भी वस्तु कूरियर या डाक माध्यम से भेजने पर रोक लगा रखी है। ऐसे यहां रह रहे लोगों को बहनें राखी नहीं भेज पा रही हैं।

सेनेटाइज करके भी नहीं ले रहे पैकेट

कार्यवाहक पोस्ट मास्टर नरेश नौटियाल ने बताया कि रामनगर में रोज सौ से अधिक पैक राखियां आ रही हैं। उन्हें सेनेटाइज कर डाकिया पैकेट घर-घर ले जा रहे हैं। मगर कोरोना से खौफजदा लोग उन्हें नहीं रिसीव कर रहे हैं।

अब ऑनलाइन राखियां भेजेंगी बहनें

छोई निवासी बबिता नेगी, हल्दुआ निवासी शिवानी शर्मा, पीरूमदारा निवासी सुमन ने बताया कि उनके भाई उत्तराखंड से बाहर रहते हैं। भेजी राखियां वापस आ गई हैं। अब रक्षाबंधन के दिन ऑनलाइन ही भाई को मोबाइल स्क्रीन पर देखेंगी।

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