पटना। बिहार में कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं । संक्रमितों की बढ़ती संख्या के हिसाब से अस्पतालों में वेंटिलेटर पर्याप्त मात्र में मौजूद नहीं हैं। इस मामले में मंत्री जी को फोन किया गया। तो उन्होंने कहा कि थोड़ा धैर्य रखिए हम व्यवस्था करते हैं। उसके बाद उनका मोबाइल स्वीच आफ हो गया। जूनियर डॉ. से किसी तरह संपर्क भी हुआ तो पता चला सारे के सारे वेंटिलेटर पर मरीज हैं ।
अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या की हकीकत
बिहार के अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या की हकीकत भी सामने आ गयी। एनएमसीएच में मात्र 45 है उसमें चार ठीक से काम नहीं कर रहा है ।एम्स का हाल भी ऐसा ही है पीएमसीएच कि चर्चा करना ही बेमानी है। कुल जमा पूंजी तीन सौ भी नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ इलाज करने वाले डॉ. कि मानें तो पहले कोरोना के जो भी मरीज आते थे। वेंटिलेटर कि कौन कहे आक्सीजन की भी जरुरत नहीं पड़ती थी? अब तो जो आ रहा है आक्सीजन तो लगना ही लगना है। और चार पांच घंटे होते होते वेंटिलेटर कि जरुरत महसूस होने लगती है गजब का ट्रेड बदला है। हम लोग कल्पना में भी नहीं सोच रहे थे कि ये स्थिति देखना पड़ेगा ।
हम लोग अब सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिए हैं। चार माह से सारा सिस्टम बे वजह खड़ा रहा और अब जरुरी है तो डॉ. और कर्मचारी काम करने कि स्थिति में नहीं है और न ही इन चार माह के दौरान सरकार कोविड को लेकर कोई तैयारी नहीं की। अब स्थिति देख कर सरकार का होश उड़ा हुआ है अब कुछ होने वाला नहीं है तमाशा देखते रहिए इसी तरह रोने कि आवाज़ आते रहेगी।
केन्द्रीय टीम बोली- ऐसा कोविड अस्पताल मैने देश में कही नहीं देखा?
ये कहना है केन्द्रीय टीम के साथ आये एम्स के विशेषज्ञ डा. का, जी है कल शाम केन्द्रीय टीम बिहार का कोविड स्पेशलिस्ट अस्पताल एनएमसीएच का निरीक्षण करने गयी हुई थी। व्यवस्था देख कर टीम ने कहा कि इस तैयारी में बिहार नहीं बचेगा चार माह सोए हुए थे क्या जी ? हम लोग चार माह से घूम रहे हैं ऐसी व्यवस्था कही देखने को नहीं मिली पूरी दुनिया में कोरोना से बिहारी डॉ. लड़ रहा है और बिहार में ये हाल है ।
सामने बैठ एक डॉ. की ओर इशारा करते हुए कहा कि अरे तुम यही हो तुम्हारे रहते यह हाल । सर जिस दिन इस अस्पताल को कोरोना के इलाज के घोषित किया था उसी से दिन से लिखते लिखते थक गये। ये जो सर देख रहे हैं न एक दिन के बारिश में डूब जाता है सरकार एनएमसीएच को कोविड अस्पताल बना कर कोरोना को कार्नर करने का सोचा था ताकी बाहर बाहर आये और बाहर बाहर ही चला जाये ।
पीएमसीएच कोविड हॉस्पिटल क्यों नहीं बना?
केन्द्रीय टीम इस बात को लेकर हैरान था कि सरकार पीएमसीएच को कोरोना हॉस्पिटल क्यों नहीं बनाया ? पीएमसीएच का इतिहास पता है एक दौर था जब पीएमसीएच के डॉ. देश और दुनिया में नामचीन थे अभी भी एम्स में पीजी में पीएमसीएच का जो भी छात्र पढाई कर रहा है अच्छा कर रहा है अभी भी तो पीएमसीएच से कई नामचीन डॉ. जुड़े हुए हैं ।
यही तो समस्या है सर इसलिए तो पीएमसीएच कोविड अस्पताल नहीं बना वहां के सारे बड़े डॉ. सीएम से लेकर सीएस तक का इलाज करते हैं ऐसे में इनकी नहीं चलेगी तो किसकी चलेगी ?
राजनीति सब कुछ बर्बाद कर दिया है?
बिहार में राजनीति सब कुछ बर्बाद कर दिया है जी सर। आज पीएमसीएच कोविड अस्पताल होता तो वहां अभी भी डॉ. की कोई कमी नहीं है अस्पताल का इन्फ्रास्ट्रक्चर आज भी एनएमसीएच से सौ गुना बढिया है ऑक्सीजन औऱ वेंटिलेटर सब कुछ उपलब्ध है ।
यही अब करने जा रहे हैं पहले किये रहते तो आज कोरोना से पूरी तरह फाइट करने कि स्थिति में रहता बिहार ,आज क्यों लोग एम्स कि और भाग रहा है। शुरु से ही एम्स कोरोना के मरीज को देखते आ रहा है । देखो जो देश कोरोना को हलके में लिया आज उसका हाल देख लो भारत में भी वैसा ही है जो राज्य कोरोना को हलके में लिया उसकी स्थिति देख लो ।
कोरोना गांव कि ओर बढ़ेगा तो संभालना होगा मुश्किल
बिहार इस मामले में बहुत पीछे है संभालने के लिए पूरी मशीनरी को झोंक देना पड़ेगा नहीं तो जिस तरीके से तुम्हारे यहां जनसंख्या डेनसिटी है बहुत मुश्किल हो जायेगा । अच्छा है कि अभी भी तुम्हारे यहां ग्रामीण अबादी पूरी तौर पर बचा हुआ है शहर नियंत्रण में नहीं आया तो कोरोना गांव कि ओर बढ़ेगा फिर बहुत मुश्किल हो जायेगा संभालना।
ज़मीनी हकीक़त भी यही है एम्स नेता औऱ अधिकारी के लिए रिजर्व कर दिया गया है फिर भी अधिकारियों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है एनएमसीएच और पीएमसीएच भगवान ही मालिक है अब देखना यह है कि कब तक आकड़ों में हेरा फेरी कर सरकार कोरोना से चेहरा छिपा ये रहती। क्यों कि अभी तो शुरु हुआ अगस्त और सितम्बर में पीक पर रहेगा ।