कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच जहां लोग अपने तीमारदारों की जान बचाने के लिए कोरोना जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर को तलाश रहे हैं तो वहीं कुछ लोग कलाबाजारी कर कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं।
ऐसे ही तीन अन्तरराज्यीय ड्रग्स माफियाओं को कानपुर पुलिस ने 10 लाख रुपये से अधिक के कोरोना इंजेक्शन के साथ धर दबोचा। इनके पास से कोरोना इजेंक्शन रेमडेसिविर के 265 वायल बरामद हुए हैं। एक वायल की कीमत चार हजार रुपये है जिसको यह लोग 25 से 30 हजार रुपये में बेचते थे।
देश मे एक बार फिर से जानलेवा बीमारी कोरोना ने अपने पैर पसारने शुरु कर दिए हैं। देखते ही देखते जनपद में मरीजों का एक दो से बढ़कर हजारों में पहुंच गया है। जिसके चलते लोगों को इलाज में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों के बेड भरे हुए हैं। लोगों के मरने की दर में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर से दवा माफिया और सप्लायर का गिरोह सक्रिय हो गया है।
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इसी कड़ी में सेना की खुफिया विभाग के सहयोग से बाबूपुरवा पुलिस और ड्रग्स विभाग की टीम ने तीन माफियाओं को धर दबोचा। मामला जीवन रक्षक कोरोना इंजेक्शन होने के चलते एसटीएफ की टीम भी पहुंच गई और पूछताछ शुरु कर दी। पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है कि तीनो अभियुक्त कोरोना मरीजों को लगने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे थे। पुलिस ने तीनों अभियुक्तों के पास से इंजेक्शन की265 वाइल बरामद की है। इस कालाबाजारी की सूचना पर एडीएम सिटी अतुल कुमार भी मौके पर पहुंच गए।
बाबू पुरवा प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस उपायुक्त दक्षिण रवीना त्यागी ने बताया कि तीन लोग पकड़े गये हैं। इनमें कानपुर नौबस्ता निवासी मोहन सोनी, प्रशांत शुक्ला और हरियाणा के यमुना नगर निवासी सचिन कुमार हैं। जांच में यह सामने आया है कि यह लोग 25 से 30 हजार रुपये में कोरोना का एक वायल बेचते थे, जिसकी बाजार में कीमत चार हजार रुपये है। बाजार में इस इंजेक्शन की भारी कमी का यह लोग फायदा उठाते थे।