नई दिल्ली। इस समय पूरी दुनिया की आंखें कोरोना वैक्सीन के सफल ट्रायल पर टिकी हुई हैं। इस बीच 16 नवंबर को अमेरिकन दवा कंपनी मॉडर्ना ने वैक्सीन के ट्रायल के अच्छे नतीजों की घोषणा की है। बताया है कि उनकी वैक्सीन 94.5 प्रतिशत तक कोविड-19 के मरीजों पर सफल साबित हुई है। अब अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी वैक्सीन के सफल नतीजों की घोषणा से दुनियाभर में खुशी की लहर दौड़ गई है। फाइजर ने वैक्सीन के कोरोना इलाज में 95 प्रतिशत तक सफल होने की ऐलान किया है।
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दोनों वैक्सीन का चल रहा है तीसरे फेज का ट्रायल
दोनों वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। दुनियाभर में चल रहे सैकड़ों वैक्सीन के ट्रायल्स में इन दोनों वैक्सीन को सफलता के सबसे ज्यादा करीब पाया जा रहा है। उम्मीद है कि नियामक संस्था फूड ऐंड ड्रग एडमिनेस्ट्रेशन (एफडीए) से स्वीकृति मिलते ही दिसंबर तक वैक्सीनेशन भी शुरू हो सकेगा। हालांकि इस बीच कम से कम 10 अन्य वैक्सीन्स भी अपने अंतिम चरण के ट्रायल से गुजर रही हैं। वैक्सीन ट्रायल्स पर नजर रखने और समीक्षा करने वाले इंडिपेंडेंट पैनल के मुताबिक अगर विस्तृत समीक्षा के बाद भी दोनों वैक्सीन्स 90 प्रतिशत तक नतीजे देती हैं। तो यह बिल्कुल वैसी ही लाभदायक साबित होगी जैसे खसरे की वैक्सीन साबित हुई थी।
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दोनों वैक्सीन में भारत के लिए जानें कौन है ज्यादा कारगर?
लेकिन अगर भारत के लिहाज से देखा जाए तो मॉडर्ना की वैक्सीन ज्यादा कारगर दिखाई देती है। इसका कारण है कि इसे -20 डिग्री तापमान पर फ्रीज करके रखना है। जबकि फाइजर की वैक्सीन के लिए -70 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में भारत के दूर-दराज के इलाकों में -70 डिग्री के फ्रीजर की बड़े स्तर पर व्यवस्था करना भी एक बड़ा चैलेंज है।