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संयम, अनुशासन से ही हारेगा कोरोना

Writer D by Writer D
26/04/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, विचार, स्वास्थ्य
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Corona

Corona

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हर सवाल का अपना निर्धारित जवाब होता है। उसी तरह हर रोज का इलाज होता है।औषधि होती है। कोरोना विकट रोग है लेकिन भारतीय समाज की ताकत के समक्ष वह कुछ भी नहीं है। धैर्य और मनोबल बनाए रखकर, संयम, अनुशासन और परस्पर सहयोग से कोरोना संक्रमण को शिकस्त दी जा सकती है। एक बार पहले यह देश ऐसा कर चुका है और इस बार भी ऐसा ही होगा,इस तरह का विश्वास तो किया ही जा सकता है।

कोरोना संक्रमण की चुनौती काफी विकट है और उससे भी विकट हैं इस पर दिन प्रतिदिन आने वाले अध्ययन। हर अध्ययन कुछ नई कहानी कहता है। कुछ नए दर्शन, कुछ नए सिद्धांत परोस जाता है।

आम आदमी परेशान है कि किसे पकड़े, किसे छोड़े। अध्ययन का एक सिरा हो तो पकड़े भी। यहां तो मुंडे-मुंडेमतिरभिन्ना वाले हालात हैं। कोरोना का वायरस बहुत चालाक है। चकमा दे रहा है। वह पहले से अधिक मारक हो रहा है। सिंगल म्यूटेंट का, डबल म्यूटेंट का और अब ट्रिपल म्यूटेंट का हो गया है। समस्या की बात सभी कर रहे हैं। समाधान की बात कोई नहीं कर रहा है। तर्क दिए जा रहे हैं कि अब पृथक वास, दो गज की दूरी और मास्क लगाने भर से काम नहीं चलेगा। कुछ और करना पड़ेगा लेकिन वह और क्या है,यह कोई नहीं बता रहाहै?

कुछ लोग इसे कोरोना की लहर कह रहे है। केंद्र सरकार दूसरी लहर कह  रही है और अरविंद केजरीवाल चौथी लहर। इससे क्या लगता है? क्या लहर छिपाई जा रही है।लहर भी क्या छिपने वाली चीज है। लहर पैदा होती है।बढ़ती है और फिर अवसान को प्राप्त हो जाती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तो कोरोना संक्रमण को सुनामी कह दिया है। उसने तो यहां तक टिप्पणी कर दी है कि ऑक्सीजन लाने में जो भी बाधा डालेगा, उसे फांसी पर लटका देंगे। यह टिप्पणी भारतीय लोकतंत्र की भावनाओं के कितने करीब है,यह तो विद्वान न्यायाधीश ही बेहतर जान सकते हैं, लेकिन अपने राम का तो यह मानना है कि ऐसी टिप्पणियों से बचा जाना चाहिए।

केंद्र सरकार का अहम फैसला, अब सिर्फ हेल्थ सेक्टर के लिए होगा ऑक्सीजन का उपयोग

यह सच है कि कोरोना की समस्या बड़ी है। यह लोगों की सांस लेने की क्षमता को प्रभावित कर रही है। कुछ विद्वान इस संकट काल में भी प्रधानमंत्री का अहंकार तलाश रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें हार्ड वर्क चाहिए, हार्वर्ड नहीं तो इसमें बुरा मनाने की क्या बात है? आजादी के इतने साल बाद भी अगर देश के बुनियादी ढांचे में कमियां नजर आ रही हैं। आग लगने पर कुआं खोदने के हालात बन रहे हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह देश सबका है। इसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सबकी है। पूरी दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक खोलने का दम्भ भरने वाले क्या यह बात पाने की स्थिति में हैं कि इस कोरोना काल में उनके मोहल्ला क्लिनिक्स क्या कर रहे हैं?

आलोचना करना आसान है लेकिन सोचना होगा कि हम क्या कर रहे हैं? संक्रमण रोकना हमारी भी तो जिम्मेदारी है। जिस तरह  देश में रोजाना साढ़े तीन लाख नए कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, वह स्थिति बहुत मुफीद नहीं है लेकिन इस हालत के लिए हमारी उत्सव धर्मिता, परंपराओं के प्रति हमारा मोह, हमारी अंध श्रद्धा और राजनीतिक,सामाजिक गतिविधियां भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। केंद्र सरकार ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए सिंगापुर से विमान से ऑक्सीजन भरे कंटेनर ला रही है।उसने ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रखी है। सेना के जवान कोरोना  संक्रमितों की मदद कर रहे हैं।

CM योगी ने जनता से की अपील, अनावश्यक घर से बाहर न निकले

प्रधानमंत्री,गृहमंत्री निरंतर इस मामले की निगरानी कर रहे हैं,इसके बाद भी अगर कोई उनसे संक्रमण से जूझने की तैयारी पूछे तो यह हाथ पर सरसों उगाने  जैसा चमत्कारी प्रयोग नहीं तो और क्या है? केंद्र सरकार पहले ही सुस्पष्ट कर चुकी है कि सावधानी ही इस रोग का रामबाण इलाज है। लेकिन हम इतना भी नही कर पा रहे।कई राज्यों की सरकारें भी केंद्र पर ही पूरी तरह आश्रित हैं। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। हर राज्य को अपने हिस्से की जिम्मेदारी तो निभानी ही होगी। देश में कोरोना रोधी टीके लगाए जा रहे हैं।अकेले उत्तर प्रदेश में इस पर 32 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है।

अन्य राज्यों में भी टीकाकरण पर इसी तरह खर्च आएंगे।यह किसी न किसी रूप में देश की अर्थव्यस्था को प्रभावित तो करेंगे ही। यह सच है कि कुछ राज्य ने ऑक्सीजन प्लांट लगाने की सोच रहे हैं। जम्बो जेट सिलेंडर खरीदने की सोच रहे हैं। हालांकि यह सब पहले होना चाहिए था लेकिन जब जागे तभी सवेरा। इसी बहाने सुविधाएं विकसित हो जाएंगीं तो भविष्य में सहूलियत होगी। प्रधानमंत्री ने गांवों से एक बार फिर अपील की है कि ग्रामीण अपने गांव का पहरेदार खुद बनें। हर हाल में गांवों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने से रोकें।इस तरह की अपील  दूसरे बुद्धिजीवी भी कर सकते हैं लेकिन जिन्हें जन असंतोष और जनाक्रोश की फसल काटने की आदत हो, ऐसे लोगों से ऐसे सार्थक संवाद की उम्मीद की भी जाए तो किस तरह?

योगी सरकार ने दिया 50-50 लाख कोविशिल्ड और कोवैक्सीन का दिया ऑर्डर

आपदाएं बोल-बता कर नहीं आतीं। इसलिए उसकी तैयारी पहले से की जानी चाहिए। आपदा काल में इंतजाम महंगा पड़ता है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए लेकिन इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि बादल बांधकर खेती नहीं की जा सकती। हर समस्या का निदान होता है। हर सवाल का जवाब होता है। समस्या घबराने से नहीं,टकराने से  दूर होती है। कोरोना संक्रमण के बचने के लिए पूरे देश को सावधानी बरतनी होगी। एकजुट प्रयास करने होंगे।सरकारों को अपनी रणनीति बदलनी होगी। दस हाथ आगे की सोचकर काम करना होगा। विकास और समस्याओं से निपटने की फूलप्रूफ तैयारी करनी होगी।यही वक्त का तकाजा भी है।

Tags: corona cases in indiacorona cases in india til now
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