नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोराना वायरस के कहर को देखते हुए इस साल की अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया है। यह फैसला अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने लिया है।
आतंकियों और उनके आकाओं की साजिशें भगवान अमरेश्वर की वार्षिक तीर्थयात्रा नहीं रोक पाई, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने प्रशासन को वार्षिक अमरनाथ यात्रा रद करने को मजबूर कर दिया। आज श्रीनगर में उपराज्यपाल और श्राइन बोर्ड के सदस्य की हुई बैठक में यात्रा को रद करने का निर्णय लिया गया।पौराणिक तौर पर अमरनाथ यात्रा के संपन्न होने में अभी 15 दिन शेष थे।
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इस बीच, सूत्रों के मुताबिक यात्रा सिर्फ पवित्र छड़ी मुबारक तक ही सीमित रहेगी। वार्षिक तीर्थयात्रा श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन के दिन) को संपन्न मानी जाती है। इसके बाद पवित्र गुफा को बंद कर दिया जाता है। इस बार यात्रा 23 जून से आरंभ होना तय थी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पंजीकरण भी आरंभ नहीं हो पाया। बाद में यह तय किया गया कि सीमित यात्रा 21 जुलाई से एक पखवाड़े के लिए चलाई जा सकती है, पर जुलाई माह में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के कारण प्रशासन अंतिम फैसले को टालता रहा। इस बीच बालटाल मार्ग से यात्रा की तैयारियां भी चलती रहीं। पर अब यात्रा आसान नहीं है।
प्रदेश प्रशासन ने एसआरटीसी से अमरनाथ यात्रा के लिए वाहन उपलब्ध कराने तक के लिए नहीं कहा है। दूसरे राज्यों से श्रद्धालु बसों से आएंगे या रेलगाड़ी से, यह भी स्पष्ट नहीं है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे प्रशासन को श्रद्धालुओं के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने के लिए भी नहीं का गया है।
स्वास्थ्य विभाग को यात्रा की सभी तैयारियां पूरी करने का आदेश तो है, लेकिन डॉक्टरों व पैरामेडिकल कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। अलबत्ता, जम्मू संभाग के 27 डॉक्टर व पैरामेडिकल कर्मियों को जरूर स्वास्थ्य सेवा निदेशक कश्मीर के पास रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सीईओ बिपुल पाठक से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर वह उपलब्ध नहीं हो पाए। अलबत्ता, बोर्ड से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यात्रा को लेकर अंतिम फैसला अगले एक दो दिन में ले लिया जाएगा।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तैयारियां धरी रह गई
गत माह केंद्र सरकार ने यात्रा शुरू करने के संकेत दिए थे। उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने भी अधिकारियों के साथ बैठक की। उपराज्यपाल के सलाहकार बसीर अहमद खान ने तैयारियों का जायजा लिया। तब बताया गया कि यात्रा सिर्फ बालटाल मार्ग से ही होगी और एक दिन में 500 के करीब श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी।
प्रशासन में नहीं बन पा रही सहमति
अब प्रशासन ने वार्षिक तीर्थयात्रा पर चुप्पी साध ली है। संबधित सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश प्रशासन में उच्चस्तर पर मौजूदा हालात में तीर्थयात्रा को शुरू करने को लेकर सहमति नहीं बन रही है। कारोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कश्मीर वादी में ही नहीं अब जम्मू संभाग के कई कस्बों में सप्ताह में दो दिन लॉकडाउन चल रहा है। आतंकी भी यात्रा में खलल डालने की साजिश रच रहे हैं।
हेलीकॉप्टर से जा सकती है छड़ी मुबारक
सूत्रों के मुताबिक प्रशासन के एक वर्ग का मानना है कि तीर्थयात्रा को सिर्फ छड़ी मुबारक तक सीमित रखा जाए। कुछ विशेष संगठनों के प्रतिनिधियों को अनुमति दी जा सकती है। छड़ी मुबारक परंपरागत पहलगाम मार्ग से ही पवित्र गुफा के लिए रवाना होगी। अगर मौसम अनुकूल न रहा तो उसे हेलीकाप्टर के जरिए पवित्र गुफा तक पहुचांया जाएगा। ऐसा पहले भी हो चुका है।
हर वर्ष आते हैं लाखों श्रद्धालु
दक्षिण कश्मीर में समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा की यात्रा के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। पौराणिक मान्यताओं और तीर्थयात्रा के विधान के अनुरुप पहलगाम मार्ग और दूसरा बालटाल मार्ग। तीर्थयात्रा के संचालन की जिम्मेदारी श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ही संभाल रहा है।