नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को माकपा नेता बृंदा करात की एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के सिलसिले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के कथित घृणा भाषणों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था।
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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने आवेदन खारिज करते हुए कहा कि सक्षम प्राधिकार, केंद्र सरकार से आवश्यक मंजूरी प्राप्त नहीं की गयी है जो कानून के तहत जरूरी है। माकपा नेताओं बृंदा करात और के एम तिवारी ने संसद मार्ग थाने को ठाकुर और वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए शिकायत दाखिल की थी।
अदालत ने कहा कि पूर्व अनुमति के बिना शिकायत मान्य नहीं है। बृंदा करात ने अदालत में अपनी शिकायत में कहा, ‘‘ठाकुर और वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग अलग प्रदर्शन स्थलों पर गोलीबारी की दो घटनाएं घटीं।’’
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बीजेपी सासंद प्रवेश वर्मा ने 28 जनवरी को कहा था कि कश्मीर में जो कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ वह दिल्ली में भी हो सकता है। साथ ही चेताया था कि शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लाखों लोग घरों में घुस कर लोगों की हत्या और महिलाओं के साथ रेप कर सकते हैं। वहीं अनुराग ठाकुर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा में ‘गोली मारो’ वाला विवादित नारा लगाया था।
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इन बयानों को लेकर चुनाव आयोग ने तब बीजेपी के दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की थी। प्रवेश वर्मा के चुनाव प्रचार करने पर दो बार बैन लगा दिया। प्रवेश वर्मा पर कुल 96 घंटे का बैन लगाया गया था। वहीं अनुराग ठाकुर का नाम बीजेपी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही अनुराग ठाकुर पर भी चुनाव प्रचार करने से बैन लगा दिया गया था।