नई दिल्ली। एससी और एसटी के लिए राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। उत्पीड़ित समुदायों पर दाखिल इस याचिका पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है। याचिका में कहा गया था कि संवैधानिक निकायों की भूमिका उत्पीड़ित समुदायों पर अत्याचार से जुड़े मसलों पर गौर करने के लिए महत्वपूर्ण थी। दिशा-निर्देश की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
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चीफ जस्टिस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक एनजीओ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजेश इनामदार की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया। संगठन ने अपने सचिव अंकुर आजाद की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा है कि अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति राष्ट्रीय आयोग दोनों में न अध्यक्ष ना उपाध्यक्ष थे।
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उत्तर प्रदेश में पैनल के कई पद खाली पड़े हैं। एससी और एसटी के अधिकारों के मामले में यह सरकारी उदासीनता और गंभीरता की कमी को दर्शाता है। इस पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं। याचिका में दलील दी गई है कि पूर्ण कालिक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बगैर आयोग तेजी से अपनी प्रासंगिकता खो रहे हैं।