नई दिल्ली| किसी का ब्लड ग्रुप ‘ए’ या ‘ओ’ होने से उसमें वायरस का खतरा कम या अधिक नहीं हो सकता। वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने अपने अध्ययन के आधार पर यह महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इससे पहले माना जा रहा था कि ‘ए’ ब्लड ग्रुप वाले वायरस की चपेट में आकर ज्यादा बीमार पड़ जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ब्लड ग्रुप से कोरोना संक्रमण का खतरा तय नहीं होता।
इस अध्ययन पर अमेरिका, इजरायल, फ्रांस, ब्रिटेन के कई संस्थानों ने संयुक्त रूप से काम किया। शोध का विवरण नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉरमेशन-अमेरिका के जर्नल में प्रकाशित है। मैसिचुएट्स जर्नल हॉस्पिटल की विशेषज्ञ व अग्रणी शोधकर्ता डॉ. अनाहिता दुआ का कहना है कि कई संस्थानों के अध्ययन में हमने एक भी ऐसा तथ्य नहीं पाया जिसके आधार पर माना जाए कि ओ, ए, बी या ए-बी रक्त समूह के कारण किसी मरीज का संक्रमण कम अथवा ज्यादा हो सकता है।
इस शोध से जुड़े फ्रांसीसी अध्ययनकर्ता जैक्स ली पेंडू का कहना है कि रक्त समूह और संक्रमण के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। शोधकर्ता कहते हैं कि वैज्ञानिक अध्ययन एक सतत प्रक्रिया है, जितनी जानकारियां जुड़ती जाती हैं, उनके आधार पर होने वाले आगे के अध्ययनों के निष्कर्ष पुराने शोधों से एकदम विपरीत भी हो सकते हैं।
पूर्व शोध ने मचाया था हड़कंप –
पिछले महीने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया था कि ‘ए’ रक्त समूह वाले लोगों में संक्रमण का खतरा दूसरे समूह वाले लोगों से 45 प्रतिशत अधिक होता है। हांगकांग के एक अध्ययन का दावा था कि सार्स जैसे वायरस का असर ओ समूह वाले लोगों पर कम होता है। ये शोध सामने आने पर डॉक्टरों में उपचार को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी। आम लोग भी इस पर बहुत चर्चा कर रहे थे।
‘ए’ ब्लड ग्रुप वाले डरे नहीं –
इन दोनों वैज्ञानिक दावों को खारिज करते हुए ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के कार्डियोवैस्कुलर विशेषज्ञ सक्तिवेल वैयापुरी का कहना है कि ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है और एक समूह वाले लोग यह सोचकर लापरवाही न करें कि उन्हें वायरस से कम असर होगा।