न्यूयॉर्क। कोरोना वायरस को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया है कि अस्पताल में कोरोना का इलाज करा रहे पुरुषों के लिए यह वायरस ज्यादा घातक हो सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि अस्पताल में भर्ती उन कोरोना रोगियों में मौत का उच्च खतरा पाया गया, जो पहले से ही मोटापा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज से जूझ रहे थे। यह निष्कर्ष अमेरिकी अस्पतालों में भर्ती किए गए करीब 67 हजार कोरोना पीडि़तों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।
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शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कोरोना से होने वाली मौत के आम कारकों पर गौर किया था। महिलाओं की तुलना में ऐसे पुरुषों में मौत का खतरा 30 फीसद अधिक हो सकता है। अध्ययन में कोरोना से होने वाली मौत के लिए कई कारकों की पहचान की गई है। यह अध्ययन क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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अमेरिका की मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर एंटोनी हैरिस ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती ऐसे कोरोना मरीजों का आकलन करना बेहद जरूरी है, जिनमें मौत का उच्च खतरा हो सकता है। इससे खतरे को टालने में मदद मिल सकती है।’ शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी भी बुजुर्ग मरीजों में मौत का सर्वाधिक खतरा पाया जा रहा है। जबकि उन युवा लोगों में भी मौत का उच्च खतरा हो सकता है, जो मोटापा या उच्च रक्तचाप की चपेट में हैं।
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हालांकि कोरोना संक्रमित सामान्य लोगों में इस तरह का खतरा कम पाया गया है। अभी हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि सतह पर कोरोना के अस्तित्व पर पर्यावरण का क्या प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सर्दियों में तापमान गिरने पर वायरस लंबे समय तक संक्रमणकारी रह सकता है>