सिडनी। ऑस्ट्रेलियाई विज्ञानियों ने जांच के लिए एक ऐसा नया तरीका विकसित किया है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि पीड़ितों में कोरोना से मुकाबले में प्रतिरक्षा प्रणाली सक्षम है या नहीं। ऑस्ट्रेलिया के क्यूआइएमआर बरगॉफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक प्रोटोटाइप टेस्ट विकसित किया है। इस टेस्ट के जरिये दो प्रकार के केमिकल सिग्नलों की पहचान हो सकती है।
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इससे उन मरीजों की पहचान हो सकती है, जिनकी हालत नाजुक होने का उच्च खतरा हो सकता है। दोनों सिग्नलों की उत्पत्ति टी सेल्स उस समय करती है, जब कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान होती है और संक्रमण से मुकाबला करती है। दरअसल, टी सेल्स इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) होती हैं, जो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान कर उनका सफाया करती हैं।
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टी सेल्स वायरस से मुकाबले के दौरान कई प्रकार के सिग्नलिंग मॉलिक्यूल का निर्माण करती हैं। ये मॉलिक्यूल मुख्य रूप से इस बात के संकेतक होते हैं कि टी सेल्स कोरोना के खिलाफ प्रतिक्रिया दिखा रही है या नहीं। इस अध्ययन का प्रकाशन क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल इम्युनोलॉजी पत्रिका में किया गया है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण ने विश्वभर में एक महामारी का रूप ले लिया है।