बुलंदशहर । उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पहासू ब्लॉक के बनैल गांव से सामने आया है। यहां श्मशान घाट को जाति के आधार पर बांट दिया गया है. जानकारी के अनुसार गांव में श्मशान घाट का निर्माण 2017 में किया गया था। पता चला कि कुछ समय बाद ही इसको दो हिस्सों में बांट दिया गया। बता दें ये गांव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक रहे राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया का पैतृक गांव होने के कारण चर्चित है।
पहासू के बनैल गांव के शमशान में इस तरह तारबंदी की गई है, जैसे ये दो देशों की सीमा हो। इस तारबंदी के एक तरफ अगड़ी जातियों के लोगों के शव जलाए जाते हैं, वहीं तार का दूसरा हिस्सा दलितों के लिए है। यानि बनैल गांव में बने इस शमशान में मुर्दे की जाति देखकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है।
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ग्रामीण सचिन राघव, गौरव चौहान कहते हैं कि जातीय भेदभाव के चलते इस तरह तारबंदी किया जाना ग़लत है। मगर जब यहां तारबंदी की गई होगी उस वक्त किसी की ओर से इसका मुखर विरोध नहीं किया गया होगा। अगर किया गया होता तो बुलंदशहर के इस गांव से शायद ऐसी तस्वीर सामने नहीं आती।
उधर, संबंधित अधिकारी मामले में जांच कराने की बात कह रहे हैं। ग्राम प्रधान पति हरिओम राघव ने बताया कि सरकार ने शमशान स्थल सभी के लिए बनाए हैं। मामला मेरे कार्यकाल समाप्त होने के बाद का है। तारबंदी किसने कराई है। यह मुझे मालूम नहीं है।
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इन्होंने कहा.
24 लाख की लागत से बने श्मशान स्थल पर किसी विशेष पक्ष का अधिकार नहीं है। यह सबके लिए है। इस मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गयी है।
– कुलदीप, सेक्रेटरी ग्राम पंचायत बनैल
—- मामला अभी संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
–डा. घनश्याम, बीडीओ पहासू।
लेकिन सवाल ये है कि श्मशान की तारबंदी को तो प्रशासन ख़त्म करा सकता है, मगर समाज के कथित ठेकेदारों मस्तिष्क में घुला जातीय भेदभाव को सरकार और प्रशासनिक अधिकारी कैसे खत्म करा पाएंगे?