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फसलें जनमानस को पोषण के साथ आकर्षित एवं रोमांचित भी करती हैं : आनंदीबेन

Anandiben

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उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि फसलें हमेशा से जनमानस को पोषण तो उपलब्ध कराती ही हैं, साथ ही आकर्षित एवं रोमांचित भी करती रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पुष्पों की सदैव से सद्भाव, सुन्दरता एवं शांति के प्रतीक के रूप में मान्यता रही है। इसी कारण यह फसलें दिनों-दिन महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। इनकी मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है इसकी पूर्ति के लिए आने वाले समय में बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाना होगा। प्रदेश की अधिकांश छोटी जोत के कृषकों के लिए अल्प अवधि की बागवानी फसलें निरन्तर आय देने में सक्षम हैं।

श्रीमती पटेल ने आज शाम यह उद्गार राजभवन मे आयोजित तीन दिवसीय ‘प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी के पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किये।

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राज्यपाल ने कहा कि कृषि विकास में बागवानी क्षेत्र का विशेष स्थान है। बागवानी फसलों आज व्यावसायिक रूप ले रही हैं, जिसके कारण इन फसलों के उत्पादन की ओर कृषकों का रूझान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि औषधीय एवं सगंधीय फसलों के उत्पादन कटाई उपरान्त प्रबन्धन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन कार्यों से ग्रामीण अंचल में रोजगार की संभावनाओं में भी वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में इस तरह के प्रयासों की मदद से हमें पर्यावरण संरक्षण करने में भी मदद मिलती है।

उन्होंने कहा कि महामारी कोविड-19 के इस काल में औषधीय एवं सगंध पौधों की ओर जनमानस का ध्यान गया है। कारोना से बचाव में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा बहुत कारगर साबित हुआ। इस अवधि में चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिकों एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये जाने हेतु औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उपयोग पर बल दिया गया।

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