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एक विधायक की सुख-सुविधाओं पर हर माह करोड़ों खर्च होते हैं, कैसे होगा विकास ?

कहने के लिए तो नारा बना हुआ है जनता का जनता द्वारा जनता के लिए जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं ताकि वे सरकार में सहभागी बनकर जनता का भला करें और क्षेत्र का विकास करें, लेकिन क्या यह आजादी से लेकर आज तक हो रहा है। इसका कोई न तो मूल्यांकन का पैमाना तय किया गया और न ही कोई नियम कानून बना।

बस एक बार विधायक बनों और मरने के बाद भी परिजनों तक की सुख सुविधाओं के पूरे इंतजाम का सरकार ठेका ले लेती है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि कोई भी नियम कानून विधानसभा के सदन में पारित हो रहा है और इन्हीं माननीयों के समर्थन से कोई भी कानून नियम बनता है। फिर अपने फायदे के लिए क्यों न ये समर्थन करेंगे, लेकिन बेहतर होता इसके साथ उनके काम काज के मूल्यांकन की शर्त भी जुड जाती है तो बेहतर होता ताकि जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स से माननीयों की सुख सुविधाओं में पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। कम से कम जनता उनसे भी हिसाब किताब ले पाती और मनमानी सुख सुविधाओं में फिजूल खर्ची पर भी अंकुश लग पाता।

आज आइये हम जानते हैं कि हमारे टैक्स से माननीय किस तरह ऐश करते हैं और उनके मरने के बाद उनके परिजनों तक की सुख सुविधाओं का ठेका सरकार ने किस तरह से ले रखा है और इसमें जनता के द्वारा कोई माननीयों के कार्यो को मूल्यांकन करने एवं उन पर कोई हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया, जबकि जनता के टैक्स से ही विधायक मंत्री एवं सांसद ऐश कर रहे हैं। आपके-हमारे वोट से विधानसभा का सदस्य बनकर ‘माननीय’ कहलाने वाले हमारे विधायकों के कामकाज का मूल्यांकन इसलिए जरूरी है, क्योंकि इन्हें इसके लिए मोटी सैलरी-डीए, ट्रैवलिंग अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, रेल कूपन जैसी कई सुविधाएं भी मिलती हैं। लोकतंत्र के एक सजग और जिम्मेदार नागरिक के रूप में इन सबकी जानकारी आपको भी होना ही चाहिए। वो इसलिए क्योंकि हमारे माननीयों को जो सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं वो आपकी-हमारी जेब से टैक्स टीए के रूप में जमा होने वाले सरकारी खजाने से ही जाती है। तो फिर एक प्रगतिशील लोकतंत्र के नागरिक के नाते आपकी-हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम जनसेवक या जनप्रतिनिधि कहलाने वाले हमारे विधायकों के कामकाज का हिसाब लें।

जानें, एक विधायक पर कितना खर्च होता हैं:-

हम प्रदेश में आम आदमी की औसत सालाना इनकम महज 79 हजार 907 रुपए है, जबकि उसके वोट से जीतकर विधानसभा में पहुंचने वाले विधायक को वेतन-भत्तों के रूप में करीब 18 गुना ज्यादा यानी करीब 13 लाख 20 हजार रुपए सालाना मिलते हैं। हर महीने करीब 1.10 लाख रुपए प्रत्येक विधायक को वेतन भत्तों के रूप में मिलते हैं।

विधायक को हर महीने मिलते हैं 1.10 लाख रुपएः-

वेतन- 30000.00, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता- 35000.00,- टेलीफोन भत्ता- 10000.00,- चिकित्सा भत्ता- 10000.00,- स्टेशनरी भत्ता- 10000.00,- अर्दली/कम्प्यूटर सहायक- 15000.00

विधायक को मिलने वाले वेतन (30 हजार रुपए) की राशि दिखने में भले ही कम लगे, लेकिन उन्हें मिलने वाले अलग-अलग भत्तों की राशि (80 हजार रुपए) कहीं ज्यादा होती है। इस प्रकार विधायक के रूप में विधानसभा के हर सदस्य को वेतन और भत्तों के रूप में हर महीने 1.10 लाख रुपए फिक्स मिलते हैं। इसके अलावा उन्हें दैनिक यात्रा भत्ता भी मिलता है।

दैनिक भत्ते के साथ यात्रा भत्ता भी मिलता है:-

विधायक को विधानसभा के विभिन्न सत्रों और कमेटी की बैठक में शामिल होने के लिए रोज 1500 रुपए भत्ता भी मिलता है। इतना ही नहीं यदि वे विधानसभा के सत्र या किसी कमेटी की बैठक में शामिल होने के लिए अपनी निजी गाड़ी से आते-जाते हैं तो उन्हें 15 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से यात्रा भत्ता भी लेने का अधिकार होता है।

रेल यात्रा के लिए मुफ्त कूपनः-

विधानसभा सदस्यों को राज्य के भीतर ट्रेन से असीमित मुफ्त यात्रा के लिए के लिए रेल कूपन मिलते हैं। इसके अलावा वे एक वित्तीय वर्ष में राज्य के बाहर 10 हजार किलोमीटर तक की मुफ्त रेल यात्रा कर सकते हैं। मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा सिर्फ वर्तमान विधायकों को ही नहीं, बल्कि पूर्व विधायकों को भी मिलती है। विधानसभा के पूर्व सदस्यों को भी प्रदेश के भीतर असीमित मुफ्त रेल यात्रा के लिए कूपन दिए जाते हैं। इसके अलावा वे प्रदेश के बाहर एक वित्तीय वर्ष में 4 हजार किलोमीटर तक की रेल यात्रा मुफ्त कर सकते हैं।

एक दिन के सेशन के लिए 7 दिन का भत्ताः-

क्या आप जानते हैं हमारे विधायकों को विधानसभा सत्र शुरू होने से तीन दिन पहले से अतिरिक्त भत्ता मिलना शुरू हो जाता है और सत्र समाप्त होने के तीन दिन बाद तक यह भत्ता मिलता है। इस हिसाब से यदि किसी सत्र में विधानसभा की कार्यवाही सिर्फ एक दिन ही चलती है तो विधायक को 7 दिन का भत्ता दिया जाता है।

विधायक सेशन की बैठकों के अलावा विधानसभा की विभिन्न कमेटियों की मीटिंग में शामिल होने के लिए भी भोपाल आते हैं। इन बैठकों के लिए भी उन्हें एक दिन पहले और एक दिन बाद तक का भत्ता दिया जाता है। यदि बैठक एक दिन की भी हो तो विधायकों को तीन दिन का भत्ता मिलता है। इसके अलावा सेशन में एक दिन साइन करने पर पूरे हफ्ते का भत्ता मिलता है।

सरकारी और निजी क्षेत्र में ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ का नियम लंबे समय से लागू है, लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जनसेवक या जनप्रतिनिधि के रूप में हमारे माननीय इससे मुक्त हैं। यदि वे विधानसभा के किसी सेशन की बैठकों में पूरे हफ्ते शामिल होने के बजाय सिर्फ एक दिन बैठक में भाग लेते हैं और उस दिन साइन कर अपनी हाजिरी दर्ज करा देते हैं तो उन्हें वेतन के अलावा पूरे हफ्ते का भत्ता दिया जाता है।

पूर्व विधायक को हर महीने मिलते हैं 35 हजार रुपएः-

एक बार विधायक बनने के बाद हमारे माननीय जीवनभर पेंशन पाने के भी हकदार हो जाते हैं। उनके बाद उनके आश्रित को फैमिली पेंशन भी मिलती है, जबकि किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को 20 साल की सर्विस के बाद ही पेंशन मिल पाती है। लेकिन पूर्व विधायक को हर महीने 20 हजार रुपये पेंशन और 15 हजार रुपये मेडिकल अलाउंस भी मिलता है। इस प्रकार उन्हें हर महीने 35 हजार रुपये सरकारी खजाने से मिलते हैं। इतना ही नहीं विधायक के रूप में 5 साल की अवधि पूरी करने के बाद हर अतिरिक्त एक साल के लिए उन्हें 800 रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाता है। इस प्रकार यदि कोई पूर्व सदस्य 10 साल तक विधायक रहा है तो उसे 4 हजार रुपए अतिरिक्त मिलेंगे।

हर महीने 18 हजार रुपये की फैमिली पेंशनः-

पेंशन पाने वाले विधायक के दिवंगत होने पर परिवार में उनके आश्रित को हर महीने 18 हजार रुपए की पेंशन मिलती है। इसमें भी पांच साल से ज्यादा समय तक विधायक रहे पूर्व सदस्य के आश्रित को हर अतिरिक्त एक वर्ष के लिए 500 रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।

नया मकान या गाड़ी खरीदने के लिए कम ब्याज पर लोनः-

हमारे माननीय विधायकों को मिलने वाले विशेष भत्तों, सुविधाओं और रियायतों की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती। उन्हें नई गाड़ी या मकान खरीदने के लिए भी कम ब्याज पर लोन की सुविधा भी मिलती रही है। वर्तमान विधानसभा से पहले के सदस्यों को नए मकान के लिए 20 लाख रुपए और नई गाड़ी खरीदने के लिए 15 लाख रुपये तक का लोन सिर्फ 4 फीसदी ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है।

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