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महामना की प्रेरणा से वर्तमान चुनौतियों समाधान हो सकता है : गोविंदाचार्य

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सिद्धांतकार के0 एन0 गोविंदाचार्य ने भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को मन, कर्म और वचन के समन्वय की मूर्ति बताते हुए बुधवार को यहां कहा कि उनकी प्रेरणा से जल, जंगल, जमीन एवं आजीविका की वर्तमान चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित ‘महामना मालवीय जयंती समारोह’ को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मालवीय जी उस काल के एक ऐसे व्यक्ति थे जो मन, कर्म और वचन के समन्वय की मूर्ति थे। वे अपने आचार-व्यवहार से लोगों को प्रभावित कर लेते थे और विश्वविद्यालय के निहितार्थ उनसे सहयोग प्राप्त कर लेते थे।”

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विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के सभागार में अपने संबोधन में कहा कि महामना को इस बीएचयू के संस्थापक से आगे बढ़कर उन्हें भारतीय पुनर्जागरण के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए, जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से देश को जागृत करने का महान कार्य किया। अधिकांश लोग उन्हें बीएचयू के संस्थापक के रूप में जानते हैं जबकि वे एक प्रखर राजनेता, भारतीय सनातन ज्ञान एवं परम्परा के प्रवक्ता, समाजसेवी, अधिवक्ता और पत्रकार भी थे। उन्होंने ने गीता के माध्यम से भारतीय समाज में संस्कृत, संस्कृति और संस्कार पैदा करने का काम किया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं तथा उनकी प्रेरणा प्राप्त कर वर्तमान चुनौतियों- जल, जंगल, जमीन एवं आजीविका का समाधान किया जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने कहा कि प्रख्यात चिन्तक श्री गोविन्दाचार्य को ‘‘भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय स्मृति सम्मान-2020’’ पुरस्कार से देकर समाज को एक रचनात्मक संदेश दिया जा रहा है। हम आशा करते है कि भविष्य में भी इसी तरह के समर्पित लोगों को इस सम्मान से मिशन सम्मानित करता रहेगा।

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अभिनन्दन के दौरान मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम् एवं माल्यार्पण तथा इकाई की तरफ से 51,000 रुपये का चेक मिशन के अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष एवं कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से प्रदान किया गया।

श्री गोविन्दाचार्य इस सम्मान राशि को वाराणसी में गौ सेवा के लिए कार्यरत संस्था को दान कर दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी की पुस्तक ‘‘वैदिक संस्कृति विमर्श’’ का विमोचन किया।

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