नई दिल्ली। लॉकडाउन में लगातार ढील मिलने से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार में थोड़ी तेजी आई है। इसका असर मांग, निर्यात, उत्पादन और नौकरियों के अवसर में दिखाई दे रहा है। हालांकि, अभी भी लंबी अवधि की कर्ज की मांग की रफ्तार बहुत धीमी है। घर-कार खरीदने के लिए लोन की मांग बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने इस पर चिंता जताते जताया है। उन्होंने कहा कि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं है। अगर यह रुझान आगे बना रहा हो तो अर्थव्यवस्था को जल्द पटरी पर लाना मुश्किल होगा।
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लंबी अवधि के कर्ज की मांग नहीं बढ़ने पर विश्लेषकों ने चिंता क्यों जताई है? इसकी वजह यह है कि अगस्त और उसके पहले के महीने में घर-कार खरीदने के लिए लोन की मांग बढ़ने की रफ्तार बहुत ही धीमी रही है। वहीं, छोटी अवधि के लोन जैसे क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, गोल्ड लोन और जमा में वृद्धि दर्ज की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह तबाह हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। अनलॉक-5 शुरू होने के बाद भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार उम्मीद के अनुरूप तेज नहीं हुई है। वहीं, कोरोना और लॉकडाउन के कारण बेरोजगार और वेतन कटौती का सामना कर रहे लोग अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं।