नई दिल्ली| एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी से उपभोक्ता व्यवहार में स्थायी रूप से बदलाव होने और उपभोक्ता वस्तुओं और खुदरा उद्योगों में स्थायी संरचनात्मक परिवर्तन होने की संभावना है।
जीवन पॉलिसी के बदले सस्ता मिलता है कर्ज
एसेंचर कोविड-19 कंज्यूमर पल्स रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय सामान और ब्रांड की मांग बढ़ रही है क्योंकि उपभोक्ता अपने सुरक्षित दायरे से बाकर निकलकर अपने पुराने उपभोग की पद्धति को ओर लौटने से झिझक रहे हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मार्च और जून के बीच वैश्विक स्तर पर 45,000 उत्तरदाताओं में से 2,500 उपभोक्ता भारत के हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण के भारत के हिस्से में पाया गया है कि 90 प्रतिशत उपभोक्ता अपने जीवन, कार्य और उपभोग के तौर तरीकों में स्थायी बदलाव करने के मूड हैं और वे उपभोक्ता ब्रांडों को लेकर महामारी-पूर्व की दुनिया में वापस नहीं लौटने जा रहे हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि महामारी अधिक लोगों को ऑनलाइन किराने का सामान खरीदने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों, डिजिटल कॉमर्स तथा होम डिलीवरी, चैट फीचर्स और वर्चुअल कंसल्टिंग जैसे ओमनीकल सेवाओं की मांग बढ़ रही है। इन चीजों के इस संकट के बाद भी कायम रहने की संभावना है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता अब अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि गैर-वाजिब चीजों पर कटौती की जा रही है।
भारत में 85 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि वे सचेत रूप से अधिक स्वास्थ्य चिंता के साथ की खरीदारी कर रहे हैं और खाद्य बर्बादी को सीमित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जबकि, 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि उत्पादों की खरीदारी के दौरान वे अधिक लागत के प्रति सजग हो रहे हैं और 71 प्रतिशत को लगता है कि खरीद निर्णयों में गुणवत्ता, सुरक्षा और विश्वास सबसे अधिक मायने रखने लगा है। अधिकांश उत्तरदाताओं ने अब अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना शुरु किया है।