नई दिल्ली। साइबर ठगों ने अब फॉर्म-16 के नाम पर भी धोखाधड़ी शुरू कर दी है। ताजा मामलों में ऐसे गिरोहों की तरफ से ई-मेल के जरिए दफ्तरों के सभी लोगों को एक साथ संपर्क किया जाता है। देखने में यह ईमेल ऐसा लगता है कि एचआर विभाग की तरफ से भेजा गया हो। उन्हें क्लिक करने पर लोगों से उनकी निजी जानकारियां मांगी जाती हैं। ‘हिन्दुस्तान’ ने एक निजी कंपनी में कर्मचारियों को भेजे गए ई-मेल देखे हैं। ई-मेल में कहा गया है कि आयकर विभाग ने फॉर्म-16 के लिए नई व्यवस्था शुरू की है, जिसके लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करके उसे डाउनलोड किया जा सकता है। जैसे ही कोई व्यक्ति दिए गए लिंक पर क्लिक करता है वो उसे एक ऐसे पेज पर ले जाता है जहां लोगों से आधारकार्ड, पैन कार्ड, बैंक डिटेल समेत तमाम निजी जानकारियां मांगी जाती हैं।
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विशेषज्ञों की राय में साइबर ठगों ने कोरोना महामारी में वर्क फ्रॉम होम की बढ़ती जरूरत के चलते लोगों को और ज्यादा शिकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। देश के राष्ट्रीय साइबर सिक्योरिटी समन्वयक राजेश पंत ने बताया कि ऐसे लोग संस्थान के मिलते-जुलते नामों से ही ईमेल के लिंक भेजते हैं। उन लिंक को क्लिक करने पर लोगों का सिस्टम हैक हो जाता है जो उस समय मौजूद तमाम जानकारी को ठगों तक पहुंचा देता है। उनके मुताबिक कई मामलों में ये भी देखने को मिलता है कि लिंक क्लिक करते ही मोबाइल या फिर कम्प्यूटर में कोई बग इंस्टॉल हो जाता है जो पूर सिस्टम की जानकारी बाद में भी भेजता रहता है। ऐसे में जब भी व्यक्ति अपना बैंकिंग लेनदेन करता है तो उसके शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।
कोरोना महामारी के चलते अब तमाम संस्थान ईमेल के जरिए ही लोगों को फॉर्म -16 भेज रहे हैं। आमतौर पर ये दफ्तर के सर्वर के जरिए ही संस्थान में लगे कंप्यूटरों से लिया जाता था, जो ज्यादा सुरक्षित होता था। महामारी के चलते वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था में लोगों के कम सुरक्षित इंटरनेट और वाईफाई सेवाओं का फायदा उठाकर ठगी का धंधा बढ़ना शुरू हो गया है।
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आयकर विभाग और रिजर्व बैंक भी बाकायदा मुहिम चलाकर लोगों से ऐसे किसी भी लिंक के झांसे में न आने की अपील कर रहा है। यही नहीं, रिजर्व बैंक भी लगातार लोगों के लिए जागरुकता अभियान चला रहा है कि किसी भी लिंक को ध्यान से देखकर आश्वस्त होने के बाद ही खोलना चाहिए। साथ ही, अपनी जरूरी निजी और बैंक से जुड़ीं जानकारियां कतई साझा नहीं करनी चाहिए। जानकारों के मुताबिक साइबर ठग उनसे जुड़ीं अहम जानकारियां इकट्ठा करके डार्क वेब पर बेच देते हैं। वहां से दुनियाभर में फैले साइबर गिरोह लोगों को अपना शिकार बनाते रहते हैं।