पटना। बिहार में नदियों के उफान पर रहने से बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है। हजारों लोगों ने ऊंचे स्थानों पर शरण ली है। 24 घंटे के दौरान चंपारण, दरभंगा व गोपालगंज में छह बांधों के टूट जाने से हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं। जगह-जगह सड़क संपर्क भंग हो गए हैं। डुमरियाघाट अर्द्धनिर्मित पुल का एप्रोच ध्वस्त होता दिख रहा है, जिसका असर दिल्ली-गुवाहाटी और काठमांडू को जोड़ने वाले एनएच 28 फोर लेन के पुराने पुल पर भी पड़ेगा। दरभंगा व समस्तीपुर के बीच र्टेक पर पानी आ जाने के कारण रेल यातायात बंद कर दिया गया है। राज्य में बाढ़ से लाखों की आबादी प्रभावित हो चुकी है। लगातार नए इलाकों में पानी का फैलाव जारी है। इस बीच बीत 24 घंटे के दौरान बाढ़ के पानी में डूबने से 13 लोगों की मौत हो गई है।
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शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री संजय झा (Water Resources Minister Sanjay Jha) ने विभागीय प्रधान सचिव संजीव हंस और आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के साथ उन क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किश, जहां बांध टूटे हैं। सर्वेक्षण के बाद पटना लौटे मंत्री संजय झा ने माना कि गंडक में अचानक आए 5.35 लाख क्यूसेक पानी का दबाव बांधों पर पड़ा, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो गए।
उत्तर बिहार के चंपारण में दो और दरभंगा में दो बांधों के टूटने से कई गांवों में पानी फैल गया है। समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड के हायाघाट में मुंडा पुल का पिलर नंबर 16 बागमती के पानी में डूब गया। इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बाधित है। मुजफ्फरपुर-सुगौली रेलखंड पर सुगौली-मझौलिया रेलखंड अंतर्गत पुल संख्या 248 के गार्डर को भी बाढ़ के पानी के छूने के बाद रेल प्रशासन ने कई ट्रेनों का परिचालन स्थगित कर दिया है। मंडल रेल प्रवक्ता सरस्वतीचंद्र ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल प्रशासन ने इस खंड पर चलने वाले गाड़ियों के मार्ग को आंशिक परिवर्तित किया है।
पश्चिम चंपारण में गंडक का जलस्तर 2. 42 लाख क्यूसेक रहा। सेमरा घाट के पास फिर जमींदारी बांध टूट गया। बेतिया-गोपालगंज मार्ग पर यातायात ठप रहा। पूर्वी चंपारण के भवानीपुर ढाला के पास गंडक ने गुरुवार देर रात चंपारण तटबंध को तोड़ दिया। मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी. शिवहर और मुजफ्फरपुर के बाढ़़ प्रभावित क्षेत्रों बाढ़ से हालात काफी खराब है। दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड के पटोरी गांव में अधवारा का ङ्क्षरग बांध और बेनीपुर में बागमती का जमींदारी बांध टूट गया है।
सामरिक व आर्थिक महत्व के डुमरियाघाट पुल (Dumariaghat Bridge) पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। पानी के दबाव के कारण पुल के समानान्तर में वर्षों से अर्द्धनिर्मित पुल का एप्रोच ध्वस्त होता दिख रहा है। पुल के एप्रोच रोड के ध्वस्त होने के बाद पानी का सीधा प्रभाव एनएच 28 फोर लेन के पुराने पुल पर पड़ेगा। एनएच 28 दिल्ली-गुवाहाटी और काठमांडू को जोडती है। एनएचएआई (NHAI) के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। बचाव कार्य जारी है। स्थानीय लोग एनएच पर खतरे की बात को स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने इसे सुरक्षित बताया है।
गोपालगंज के पुरैना देवापुर व पकहा में सारण तटबंध तटबंध टूटने के बाद शनिवार की सुबह बैकुंठपुर प्रखंड के कृतपुरा गांव के समीप भी सारण तटबंध टूट गया। तटबंध टूटते की आसपास के पांच दर्जन गांवों में गंडक नदी का पानी प्रवेश कर गया है। इसी बीच पुरैना में बांध टूटने के बाद गांवों को डुबोते हुए बाढ़ का पानी सिधवलिया प्रखंड की खजुरिया पंंचायत के चंवर को भरते हुए गांवों में प्रवेश कर रहा है। लगातार पानी बढ़ने से प्रखंड मुख्यालय बरौली सहित बाढ़ प्रभावित 72 गांवों की स्थिति और बिगड़ती जा रही है। बरौली प्रखंड कार्यालय सहित सभी 21 वार्ड जलमग्न हो गए हैं। सिवान जिले में भी सरयू का जलस्तर दरौली में खतरे के निशान को पार कर गया है।
कोसी की सहायक नदियां उफनाईं
पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल की नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है। कोसी के कुछ बाढ़ प्रभावित गांवों से पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है। पूर्व बिहार की स्थिति सामान्य है। सुपौल में कोसी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है। कोसी की सहायक नदियां उफान पर हैं। सहरसा में कोसी का जलस्तर घट रहा है, लेकिन सुरसर, तिलाबे और बलान उफान पर हैं। तटबंध के अंदर की बड़ी आबादी बाढ़ से जूझ रही है। मधेपुरा जिले के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। अररिया में नदियां खतरे के निशान से नीचे हैं, लेकिन नदियों का कटाव तेज है। किशनगंज में भी एक दर्जन से अधिक गांव नदियों के कटाव की जद में हैं। गंगा और कोसी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। दोनों नदियां खतरे के निशान से नीचे, लेकिन चेतावनी के स्तर से ऊपर हैं। पूर्णिया में महानंदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
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24 घंटे में डूबने से 13 की मौत
बीते 24 घंटे के दौरान बाढ़ के पानी में डूबने से 13 लोगों की मौत हो गई है। इनमें सुपौल, पूर्णिया और सीतामढ़ी के एक-एक, सहरसा और गोपालगंज के दो- दो, कटिहार और मधुबनी के तीन-तीन लोग शामिल हैं।