मानसून की दस्तक से पहले की तैयारियों का निरीक्षण करने के लिए यूपी सरकार के जलशक्ति (सिंचाई) मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह, बड़ी गंडक नदी के अंर्तराष्ट्रीय नारायणी-छितौनी बांध पहुंचे, जहां मरम्मत कार्य में हो रही धांधली देख सिंचाई मंत्री भड़क उठे।
नारायणी-छितौनी(एनसी) बांध के पॉवर स्केप पर 1.97 करोड़ रुपये की लागत से एजक्रेटिंग का कार्य कराया जा रहा है। इसमें बांध के नदी वाले हिस्से में बड़े-बड़े बोल्डर डाल कर उसको लोहे की जाली से बांध दिया जाता है। जिससे नदी का जलस्तर बढ़ने से बांध पर कटान ना हो सके।
एजक्रेटिंग के काम में लोहे की जाली के अंदर बड़े-बड़े पत्थरों का उपयोग किया जाता है लेकिन मंत्री ने देखा कि यहां एजक्रेटिंग के काम में छोटे-छोटे पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। मरम्मत में गुणवत्ता से गड़बड़ किए जाने को लेकर मंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई और नए सिरे से एजक्रेटिंग करने का निर्देश देते हुए, छोटे पत्थरों को नदी में बहाने का फरमान जारी किया।
मंत्री ने महराजगंज सिंचाई खंड द्वितीय के इंजीनियरों की लापरवाही देख एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को फटकार लगाईं। इतना ही नहीं मंत्री ने कार्यदायी संस्था को ब्लैक लिस्ट में डालने के साथ-साथ, सहायक अभियंता व अवर अभियंता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी मुख्य अभियंता को दिया है।
जल शक्ति मंत्री ने क्षेत्रीय सिसवा विधायक प्रेम सागर पटेल से कहा कि आप निगरानी करते रहें, कार्य की गुणवत्ता को लेकर सीधे मुझे बताएं। नेपाल से आई बड़ी गंडक नदी पर चार अंर्तराष्ट्रीय बांध हैं- ए-गैप, बी-गैप, एनसी बांध व लिंक बांध। इसमें से तीन बांध नेपाल में हैं। लेकिन समझौते के तहत यूपी सरकार का सिंचाई मंत्रालय इसका अनुरक्षण कार्य कराता है।
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महराजगंज जनपद का सिंचाई खंड द्वितीय की देखरेख में इन अंतर्राष्ट्रीय बांधों की मरम्मत होती है। इसके लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट आवंटित होता है।
बाढ़ बचाव कार्य का निरीक्षण करने के बाद जलशक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने मीडिया कर्मियों को बताया कि यूपी के 42 जिले बाढ़ प्रभावित हैं। इसमें से अभी तक वह 16 जिला का भ्रमण कर चुके हैं। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि बाढ़ से पहले बचाव के सभी जरूरी कार्य निर्धारित तिथि से पहले करा लिए गए हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री ने जनवरी में ही धन जारी कर दिया था। पहले यह पैसा मार्च व अप्रैल में जारी होता था।
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जलशक्ति मंत्री ने बताया कि यूपी में पहले बाढ़ आती थी तो एक बड़ा क्षेत्रफल डूब जाता था. पन्द्रह लाख हेक्टेयर भूमि का कटान हो रहा था। लेकिन पिछले दो साल में ज्यादा से ज्यादा नुकसान होने पर 12 हजार हेक्टेयर भूमि का ही कटान हुआ है। इस बार भी सरकार का पूरा प्रयास कि किसी भी जिले में बाढ़ से कोई भी जनहानि ना होने पाए। शासन के दिशा निर्देश के मुताबिक कार्य होगा तो किसानों के जमीन का कटाव भी नहीं होगा।