मुंबई। कुछ महीने पहले की बात है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना (Corona) महामारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं माना था, लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है।अमेरिका और ब्रिटेन में कोविड (Corona) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन में बीते तीन हफ्तों से कोरोना (Corona) वायरस के केस में कई गुना इजाफा हुआ है। नए वेरिएंट एरिस की वजह से वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। एरिस के कारण ब्रिटेन में कोविड के नए केस और हॉस्पिटलाइजेशन भी बढ़ रहा है। युवा आबादी को भी इससे संक्रमित हो रही है। चिंता की बात यह है कि इस नए वेरिएंट के केस भारत में भी आ चुके हैं। महाराष्ट्र में इसका पहला मामला दर्ज हुआ है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आने वाले दिनों में देश में भी एरिस वेरिएंट के केस बढ़ सकते हैं? क्या जल्द ही कोविड की कोई नई लहर आ सकती है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए TV9 ने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है।
क्या है ये नया वेरिएंट?
दिल्ली के राजीव गांधी सुपरस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल में कोविड नोडल अधिकारी रहे डॉ. अजित जैन बताते हैं कि कोविड वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहा है। जिससे नए नए सब वेरिएंट आते रहते हैं एरिस वेरिएंट ओमिक्रॉन का एक सब वेरिएंट है। इसका पहला मामला महाराष्ट्र में मई में ही आ गया था। लेकिन उसके बाद से यहां कोविड (Corona) के मामलों मे कोई वृद्धि नहीं हुई है।
यहां मिला कोरोना का नया वेरिएंट, सर्दियों में मचा सकता है आतंक
भारत में फिलहाल में XBB.1.16 और XBB.2.3 सब-वेरिएंट के ही केस आ रहे हैं। किसी वेरिएंट की वजह से नए मामलों में इजाफा नहीं हो रहा है और न ही हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ रहा है। पहले भी ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट्स से कोई खतरा नहीं देखा गया है।ऐसे में पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
जीनोम सर्विलांस बढ़ाना होगा
डॉ अजित जैन कहते हैं किब्रिटेन में इस एरिस स्ट्रेन के कारण कोविड का दायरा बढ़ रहा है। वहां हर पांच में से एक मरीज में एरिस वेरिएंट ही मिल रहा है। ऐसे में भारत में भी जीनोम सर्विलांस को बढ़ाना होगा। इससे यह पता चल जाएगा कि किस इलाके में नए वेरिएंट के कितने केस हैं। ये भी देखना होगा कि इस स्ट्रेन के मरीजों में कोई गंभीर लक्षण तो नहीं है। अगर भविष्य में मामले ज्यादा रिपोर्ट होते हैं तो उस हिसाब से कोविड प्रोटोकॉल निर्धारित किए जा सकते हैं। लेकिन फिलहाल कोई गंभीर खतरा नहीं है।