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पत्नी को हैट्रिक प्रधान बनाने में निलंबित दारोगा बिहारी यादव को मिली करारी शिकस्त

Daroga Bihari Yadav

निलंबित दारोगा बिहारी यादव को मिली करारी शिकस्त

बलिया जनपद के सोहांव ब्लॉक अंतर्गत सरायकोटा ग्राम पंचायत से पत्नी होशिल्या देवी को हैट्रिक प्रधान बनाने के चक्कर में निलंबन झेल रहे गोरखपुर कोतवाली के दारोगा बिहारी को करारी हार मिली है। यहां मुनीब यादव ने लगभग 69 वोटों से मात दी है। इस तरह से अब होशिल्या हैट्रिक जीत से वंचित हो गई। बता दें कि मुनीब इसके पहले पंचायत चुनाव में उप विजेता रह चुके हैं। देर रात तक उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के परिणाम आ गए।

अपने आसपास भी नहीं कर पाई लीड

10 वर्षों से सरायकोटा की प्रधानी की कुर्सीं पर कब्जा जमाई होशिल्या 16 वार्डों में दो-चार वार्ड को छोड़ दिया जाए तो सभी वार्डों से हारती चली गई। यहां तक की अपने आसपास भी वह लीड नहीं कर पाईं। गांव में चर्चा है कि दारोगा पति के जमकर प्रचार करने व 10 वर्ष गांव की सरकार की मुखिया होने के बावजूद हारने के पीछे सरकार की योजनाओं से पात्र ग्रामीणों को लाभान्वित न करना मुख्य कारण है।

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‘भूमिहार बनाम अहीर’ विभाजनकारी मुद्दा फुस्स

चूंकि गांवों में जाति के अनुसार मोहल्ले होते हैं। ऐसे ही सरायकोटा में मल्लाह, चमार, दुसाध, अहीर (यादव), डोम आदि जातियों के लोग हैं। नाम न प्रकाशित करने के शर्त पर एक मतदाता ने बताया कि गांव में जातिवाद चरम पर है। प्रत्येक मुहल्ले में भूमिहारों के कथित आतंक का भय दिखाया गया। यहां 10 वर्ष प्रधान रहने के बावजूद भूमिहार बनाम अहीर व अन्य का मुद्दा उछाला गया। विकास का मुद्दा था ही नहीं। मतदाताओं को बहलाने की कोशिश की गई कि हमें वोट दो अन्यथा, मुनिब जीता तो भूमिहारों का आतंक झेलना पड़ेगा। यहां भूमिहारों को यादव वोट पाने के लिए विलेन की तरह पेश किया गया।

10 वर्ष में नहीं देखने को मिला प्रधान का चेहरा

उन्होंने बताया कि जनता ने 10 वर्ष के दौरान किये गए कामों का आकलन किया और मतदान किया। मतदान में अगर दूसरे को जीत मिली है तो होशिल्या देवी व उनके पति को मंथन करना चाहिए कि दो बार से प्रधान रहने के बावजूद भी वे सभी वार्डों से क्यों हारते गए। 10 वर्ष में प्रधान का चेहरा देखने को नहीं मिला। छुट-भय्यै कार्यकताओं के बल पर घर में बैठकर समय व्यतीत कर दीं।

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प्रधान पति के दंश से मिली मुक्ति

एक मतदाता ने कहा कि गांव को ‘प्रधान पति’ से मुक्ति मिल गई है। मुनिब स्वयं प्रधान बने हैं। उन्होंने कहा कि नये प्रधान के समक्ष गांव में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, स्वच्छता, राशन वितरण में ईमानदारी आदि चुनौतियां हैं। इन्हीं चुनौतियों से न लड़ पाने की वजह से होशिल्या देवी को हार का सामना करना पड़ा है।

स्वास्थ्य खराब होने की झूठी छूट्टी के कारण हुए थे निलंबित

बता दें कि होशिल्या देवी के पति बिहारी यादव सिपाही से प्रमोट होकर गोरखपुर कोतवाली में दारोगा पद पर तैनात हैं। चुनाव के दौरान खुद की बीमारी का बहाना बनाने के बाद छुट्टी मांगकर पत्नी के लिए प्रचार करने का आरोप लगा। जब मामले की जांच हुई तो दारोगा का झूठ पकड़ा गया। उन्हें एसएसपी ने निलंबित कर दिया और विभागीय जांच बैठा दी। निलंबित होते ही बिहारी चर्चा में आ गए थे। अब उनकी पत्नी को हार मिलने के बाद चारों तरफ मायूसी है।

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