महाकुंभनगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) 9-10 फरवरी को दो दिवसीय यात्रा पर प्रयागराज महाकुंभ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने महाकुंभ के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह केवल मनुष्यों की भीड़ नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं का अद्वितीय संगम है।
उन्होंने इस आयोजन को सनातन संस्कृति का प्रतीक बताते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक मेला नहीं, बल्कि यह संकल्प का महापर्व है, जहां लाखों श्रद्धालु अपने जीवन को धर्म, साधना और आत्मचिंतन के माध्यम से एक नई दिशा देते हैं।
धर्म और संस्कृति की रक्षा का आह्वान
दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने इस अवसर पर नई पीढ़ी में हिंदू धर्म, संस्कृति और मूल्यों के प्रति आस्था जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रचार-प्रसार अनिवार्य है ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धर्म और संस्कृति की रक्षा केवल संत समाज या शासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज की सज्जन शक्ति, संत शक्ति और शासन शक्ति के समन्वित प्रयास से ही संभव हो सकता है।
सफाईकर्मियों का योगदान अतुलनीय
महाकुंभ के अपने दूसरे दिन के प्रवास के दौरान दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने कुंभ क्षेत्र की सफाई व्यवस्था में लगे कर्मचारियों से मुलाकात की और उनका सम्मान किया। उन्होंने कहा कि इन सफाईकर्मियों का योगदान अतुलनीय है, क्योंकि वे इस भव्य आयोजन की पवित्रता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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आरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं को सनातन धर्म, संस्कृति और इसके मूल्यों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस दिशा में परिवार, समाज और धार्मिक संगठनों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि यदि युवाओं को धर्म और संस्कृति की गहराई से परिचित कराया जाए, तो वे इसके महत्व को समझेंगे और इसका अनुसरण भी करेंगे।