कोरोना काल में जहां कई लोग जहां एक दूसरे की मदद में जुटे हुए हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो मुसीबत के समय भी अपनों से मुंह मोड़ लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला वाराणसी में सामने आया जब घर-घर झाड़ू-पोछा लगाने वाली बेटी प्रेमलता के पिता की आकस्मिक मौत हो गई।
मौत के बाद पिता के अंतिम संस्कार के लिए बेटी के पास पैसे नहीं थे। रातभर वो पिता के शव के पास बैठकर रोती रही। किसी ने इसकी सूचना समाजसेवी अमन कबीर को दी। जिसके बाद अमन ने घर पहुंचकर प्रेमलता के पिता का मर्णिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार कराया।
पाण्डेयपुर निवासी प्रेमलता रविवार को जब काम के बाद घर लौटी तो पिता रामकुमार की तबीयत सही नहीं थी। उसके पास पिता का इलाज कराने के पैसे भी नहीं थे। दर्द से तड़पते पिता रामकुमार गुप्ता ने बेटी के सामने की दम तोड़ दिया। सूचना पर भी जब रिश्तेदार नहीं पहुंचे तो बेटी शव को चादर में लपेटकर रात भर कमरे में बैठी रही।
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अमन ने बताया कि मुझे घटना की सूचना मिली तो अपनी टीम के साथ उसके घर पहुंचा। अंतिम संस्कार के लिए कई लोगों ने आर्थिक मदद की। जिसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई। जिसमें बेटी प्रेमलता ने भी कंधा दिया और पिता को मुखाग्नि दी। अपनी बाइक एम्बुलेंस से सड़क पर मिलने वाले बुजुर्गों, बेसहारों और निःशक्तों को अस्पताल पहुंचाने वाले अमन को लोग काशी के ‘कबीर’ भी कहते हैं।