कोविड संक्रमण ने लोगों के मन में ऐसा डर बिठाया है कि रिश्तों की डोर टूटती नजर आ रही है। हालात यह हो गये हैं कि सामान्य मौत होने पर भी लोग अंतिम संस्कार में जाने से बच रहे हैं।
ऐसी कई तस्वीरें देश के हर तरफ से आ रही हैं। अयोध्या में रिश्तेदारों व पड़ोसियों के सामने न आने पर बेटियों ने अपने पिता को कंधा दिया और अंतिम सस्कार भी किया।
जनपद अयोध्या के सहादतगंज के रहने वाले चंदभूषण की मौत हो गई थी। उनके चार बेटियां हैं। यहां पर दो बेटियां ही मौके पर थीं, दो अन्य बाहर थीं। मौत के बाद बेटियों की मदद के लिए पड़ोसी व रिश्तेदार नहीं आये। आखिरकार दोनो बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार किया।
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मानवीय संवेदना को झकझोरतीं ये तस्वीरें आपको विचलित जरूर कर देंगी। अयोध्या में ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली है। इस समय प्रदेश और देश के तमाम शहरों से भी तमाम घटनाएं देखने को मिल रही हैं, जिनके घरों में बेटे नहीं है उनके घरों में भी लोगों के मरने के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले लोग नहीं आ रहे हैं। चाहे वो रिश्तेदार हो या फिर आस पड़ोस के लोग सभी अंतिम संस्कार में जाने से बच रहे हैं।
ऐसे में बेटियां अपने पिता के अंतिम संस्कार पूर्व वैदिक रीति-रिवाज के साथ कर रही हैं। कोरोना काल में लगातार बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं लेकिन इसका दुष्परिणाम भी सामने आ रहा है। कोरोना से मरे हुए लोगों के अंतिम संस्कार में लोग जाने से बच रहे हैं। लोगों के मन में कोरोना को लेकर इतना भय हो गया है कि लोग सामान्य मौत से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा रहे हैं और ना ही कोई सहयोग कर रहे हैं।
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समाजसेवी रितेश दास ने बताया कि उन्हें नगर निगम की तरफ से लावारिस शवों व गरीबों अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौपी गयी है। रोजाना 100 से ऊपर शव यहां पर जलाये जाते हैं। आज दो बेटियां अपने पिता के शव को लेकर आई थीं। जिनकी मद्दद करने के लिए खुद भी उन्हें कंधा दिया और सरयू तट पर पहुंचकर उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।